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`दक्षिण एशिया में एक उदार शक्ति के रूप में पेश आए चीन`

`दक्षिण एशिया में एक उदार शक्ति के रूप में पेश आए चीन` बीजिंग : भारत के एक प्रमुख विचारक मंडल (थिंक टैंक) का कहना है कि दक्षिण एशिया में चीन को एक उदार ताकत के रूप में पेश आना चाहिए और क्षेत्र के अन्य देशों के साथ अपने संबंधों, विशेष तौर पर सैन्य संबंधों के मामले में भारत की चिंता को दूर करना चाहिए।

विश्व मामलों की भारतीय परिषद् (आईसीडब्ल्यूए) के महानिदेशक राजीव कुमार भाटिया ने चीन की सरकार की ओर से ‘समकालीन दुनिया बहुपक्षीय वार्ता बदलती दुनिया और विकास में चीन’ विषय पर आयोजित सम्मेलन में कहा कि बीजिंग के सैन्य संबंध दक्षिण एशियाई देशों के साथ भारत में चिंताओं को जन्म देते हैं।

सम्मेलन में बुद्धिजीवियों के साथ हुई बातचीत और अपनी प्रस्तुतीकरण के बारे में उन्होंने पीटीआई से कहा, चीन के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह दक्षिण एशिया में उदार शक्ति के रूप में पेश आए और उसे भारत के मुकाबले खड़े होने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। केन्या, म्यामां मैक्सिको और दक्षिण अफ्रीका में भारत के राजदूत रह चुके राजीव भाटिया का का कहना है कि दक्षिण एशिया में किसी भी पड़ोसी के साथ चीन के संबंध, विशेष रूप से सैन्य संबंध, चिंता और बेचैनी को बढ़ाएंगे और उसे हल करना जरूरी है ।

चीन की ओर से पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका, बांग्लादेश और नेपाल के साथ संबंधों को मजबूत करने की कोशिशों के मद्देनजर भाटिया ने यह टिप्पणी की है । चीन के साथ बाकि दुनिया की समझ को बढ़ावा देने के लिए आयोजित इस सम्मेलन में 22 देशों के प्रतिभागियों को आमंत्रित किया गया था ।

दक्षिण एशिया से सिर्फ भारत और नेपाल को आमंत्रित किया गया था जबकि बैठक से पाकिस्तान का अनुपस्थित रहना सभी की नजरों में रहा । पाकिस्तान पिछले एक दशक से ज्यादा समय से रक्षा समेत अन्य क्षेत्रों में भी चीन का करीबी सहयोगी रहा है ।

भाटिया ने कहा कि यह सम्मेलन चीन में एक दशक में एक बार होने वाले नेतृत्व परिवर्तन के बाद हो रहा है और इसमें वैश्विक प्रशासन और उभरते देशों की भूमिका, सुरक्षा और एशिया-प्रशांत क्षेत्र का विकास और चीन में हाल ही में आयोजित हुई कम्युनिस्ट पार्टी की 18वीं कांग्रेस के बारे में बातचीत की गई ।

दक्षिण पूर्व एशिया के बारे में भाटिया सीमा विवादों के बावजूद चीन के बढ़े सैन्य खर्च पर चिंता जताते हुए तनाव को कम करने की जरूरतों पर बल दिया । दक्षिण पूर्व एशिया में चीन विभिन्न पड़ोंसियों के साथ समुद्री सीमा विवाद में फंसा हुआ है ।


भाटिया ने कहा कि दक्षिण और पूर्व एशिया की स्थितियों को बेहतर बनाने में भारत-चीन के संबंध बहुत महत्वपूर्ण हैं । उन्होंने कहा कि चीन की बढ़ती सैन्य ताकत के कारण लोगों में उपजी चिंताओं को उसे दूर करना चाहिए क्योंकि भारत के विकास पर कभी ऐसी चिंता नहीं जतायी गई थी । भाटिया के मुताबिक, अपना पक्ष रखते हुए चीन के बुद्धिजीवियों ने कहा कि चीन की ताकत का बढ़ना एक महत्वपूर्ण विकास है । उन्होंने कहा कि बीजिंग दुनिया में शांति और स्थायित्व की राह में अपना योगदान करते हुए विकास के शांतिपूर्ण मार्ग पर आगे बढ़ेगा ।

चीन के विकास से उपजी चिंताओं के बारे में बात करते हुए चीन के दो बुद्धिजीवियों ने कहा कि हम बेचैनी के कारणों को समझ सकते हैं और चीन को इसकी जिम्मेदारी लेते हुए इसे हल करना चाहिए ।

भाटिया के अनुसार, उनका कहना है कि यह भी बहुत महत्वपूर्ण है कि चीन अपने विकास को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ साझा करे । (एजेंसी)

First Published: Thursday, November 29, 2012, 18:27

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