Last Updated: Sunday, July 14, 2013, 12:24

संयुक्त राष्ट्र : अपना जीवन लड़कियों की शिक्षा के लिए समर्पित करने की बात कहते हुए पाकिस्तानी किशोरी मलाला युसूफजई ने कहा कि वह तालिबान के हमले का शिकार हुई लड़की के रूप में अपनी पहचान नहीं चाहती बल्कि वह चाहती है कि दुनिया उसे ‘अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करने वाली लड़की’ के रूप में जाने।
मलाला ने शनिवार को न्यूयार्क में पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र मिशन को संबोधित करते हुए कहा, ‘9 अक्तूबर, 2012 को हुआ हमला मेरे जिंदगी का एक हिस्सा भर था। मैं मेहनत करना चाहती हूं, अपनी पूरी जिंदगी लड़कियों की शिक्षा के लिए समर्पित करना चाहती हूं।’ मलाला ने कहा, ‘और सच कहूं तो मैं कहना चाहती हूं कि मैं तालिबान के हमले का शिकार हुई लड़की के रूप में अपनी पहचान नहीं चाहती बल्कि मैं उस लड़की के रूप में अपनी पहचान चाहती हूं जिसने अपने अधिकारों के लिए संघर्ष किया।’ शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र में बेहद सराहनीय भाषण देने के एक दिन बाद कल 16 साल की मलाला ने ये बातें कहीं।
पिछले साल अक्तूबर में तालिबान के हमले में बुरी तरह घायल होने के बाद संयुक्त राष्ट्र में दिया गया भाषण मलाला का पहला सार्वजनिक भाषण था। तालिबान के एक हमलावर ने मलाला के सिर पर गोली दागी थी। हमले का उद्देश्य लड़कियों के स्कूल जाने के अधिकारों से जुड़े मलाला के अभियान को खत्म करना था।
संयुक्त राष्ट्र में दिए गए अपने भाषण में मलाला ने महात्मा गांधी और अहिंसा के दूसरे वैश्विक दूतों का स्मरण करते हुए कहा, ‘मैं किसी के खिलाफ नहीं हूं, ना ही मैं यहां तालिबान या दूसरे आतंकवादी समूह के खिलाफ निजी बदले को लेकर बोलने के लिए आयी हूं। मैं यहां हर बच्चे के शिक्षा के अधिकार के लिए बोलने आयी हूं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 14, 2013, 12:24