Last Updated: Monday, November 12, 2012, 17:44

दुबई : अपनी किताब ‘गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ के लिए बुकर पुरस्कार जीतकर साहित्य की दुनिया में तहलका मचा देने वाली लेखिका और कार्यकर्ता अरूंधति रॉय अब अपनी दूसरी किताब लिख रही हैं। शाहजाह अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले में रॉय ने ज्यादा जानकारियां दिए बिना घोषणा करते हुए कहा कि वे अपनी दूसरी किताब लिख रही हैं।
‘गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स’ लिखने के अपने अनुभव के बारे में रॉय ने कहा, यह किताब मेरे पर हावी थी और अगर मैं इससे भागना भी चाहती तो मैं ऐसा न कर पाती। वर्ष 1997 में मैन बुकर पुरस्कार जीतने वाली रॉय ने कहा कि जब वह निबंध लिखती हैं तो खुद को भारतीय जनता का ही एक हिस्सा महसूस करती हैं।
अरूंधति ने दुबई में भारतीय राजदूत संजय वर्मा की मौजूदगी में श्रोताओं को बताया, लेखन मेरे खून में है। जब आप लिखते हैं तो आपको उससे जुड़ी जानकारी, लेखन के लिए उपलब्ध स्थान और जगह के बारे में पूरी तरह सही होना चाहिए। मुझे लगता है कि मछुआरों को बेहतरीन लेखक होना चाहिए क्योंकि वे मछली को पकड़ने के लिए बहुत समय तक चुप रहते हैं और योजना बनाते हैं।
उन्होंने कहा, काल्पनिक लेखन एकांत का काम है और किताब लिखना जेल में होने सरीखा है। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने एक लेखिका बनने का फैसला कैसे किया तो रॉय ने कहा, मैं कभी भी महत्वाकांक्षी नहीं रही हूं। मैं अपने कॅरियर को लेकर बहुत ज्यादा चिंतित नहीं रही न ही मैं अपने कॅरियर में कहीं पहुंचना ही चाहती हूं। समाज के साथ जुड़ाव बनाना, उसे जीना और विभिन्न अनुभव हासिल करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने श्रोताओं को यह भी कहा कि अगर उन्हें मौका भी मिले तो भी वह अपने मशहूर उपन्यास को दोबारा लिखना नहीं चाहेंगी।
अरूंधति ने कहा, मैं उसे दोबारा लिखने की इच्छा नहीं रखती। इसलिए नहीं कि मैं उसे दोषरहित मानती हूं बल्कि ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं किसी चीज को पूरा करने के बाद उसमें बार-बार बदलाव करने वालों में से नहीं हूं। (एजेंसी)
First Published: Monday, November 12, 2012, 17:44