Last Updated: Wednesday, November 7, 2012, 11:27
वाशिंगटन : तमाम अवरोधों को पार करते हुए बुधवार को एक बार फिर व्हाइट हाउस में चार साल के एक और कार्यकाल के चुने गए बराक ओबामा बेहद दृढ़ प्रतिज्ञ, विनम्र, करिश्माई वाक कौशल के धनी और सबको साथ लेकर चलने वाले राजनेता हैं और उनके इन्हीं गुणों की बदौलत अमेरिकियों ने दूसरी बार सत्ता की कमान एक बार फिर से उनके हाथों में सौंपी है।
राष्ट्रपति पद के चुनाव में अपने रिपब्लिकन प्रतिद्वंद्वी मिट रोमनी की ओर से कड़े मुकाबले को धराशायी करते हुए 51 वर्षीय ओबामा का पिछले चार साल का कार्यकाल एक प्रकार से कांटों का ताज रहा जिस दौरान उन्हें बिगड़ती अर्थव्यवस्था से जूझना पड़ा।
नए कार्यकाल में उनकी विदेश नीति एशिया. प्रशांत क्षेत्र पर पहले की तरह ही केंद्रित रहेगी जहां भारत को अमेरिकी रणनीति में महत्वपूर्ण धुरी के रूप में देखा जा रहा है। ओबामा भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं लेकिन घरेलू बाध्याताओं के कारण उन्हें अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान नौकरियों को भारत में आउटसोर्स किए जाने के खिलाफ आवाज उठानी पड़ी।
अपने पहले ही कार्यकाल में भारत यात्रा पर जाने वाले ओबामा पहले अमेरिकी राष्ट्रपति थे और उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के मुद्दे को भी समर्थन दिया है। चुनाव परिणाम बताते हैं कि अमेरिका की गिरती अर्थव्यवस्था को संभालने के उनके तौर तरीकों से असंतुष्ट रहने के बावजूद जनता उनके प्रति निष्ठावान बनी रही है और उनमें फिर से अपना भरोसा जताया है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, November 7, 2012, 11:27