Last Updated: Sunday, February 12, 2012, 15:23
इस्लामाबाद : संकटग्रस्त पाकिस्तानी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी अवमानना के आरोपों का सामना करने के लिये सोमवार को शीर्ष न्यायालय के समक्ष पेश होंगे।
इस मामले में उनके भाग्य का फैसला हो सकता है और यदि उन्होंने राष्ट्रपति के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर खोलने से इंकार किया तो देश एक नये राजनीतिक अस्थिरता के दौर से गुजर सकता है। 59 वर्षीय गिलानी ने उच्चतम न्यायालय में अपनी पेशी से पहले कहा कि यदि न्यायालय ने पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ स्विट्जरलैंड में भ्रष्टाचार के मामलों को फिर खोलने से इनकार करने के मामले में उन्हें दोषी करार दिया तो वह अपने पद से त्यागपत्र दे देंगे। उन्होंने अलजजीरा से साक्षात्कार में कहा, ‘निश्चित रूप से पद छोड़ने की कोई आवश्यकता नहीं है, उस हाल में मैं संसद सदस्य भी नहीं बना रह सकता।
गिलानी ने कहा, ‘वर्तमान समय में मेरे शक्तिशाली सेना के साथ अच्छे संबंध हैं।’ कुछ समय पहले गिलानी और सेना के बीच मेमो कांड को लेकर संबंधों में कई सप्ताह तक तनाव रहा था। उन्होंने कहा कि उन्हें अमेरिका की ओर से ऐबटाबाद में ओसामा बिन लादेन को मारने के लिए की गई एकतरफा कार्रवाई से ‘निराशा हुई।’
गिलानी को एक तगड़ा झटका देते हुए पाकिस्तान के शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश इफ्तिखार चौधरी ने शुक्रवार को अवमानना के आरोप तय करने के खिलाफ दायर की गई उनकी अपील को खारिज कर दिया था। इससे पहले गत 19 जनवरी को अवमानना का मामला जब आया तो गिलानी व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में पेश हुए।
गिलानी ने कहा कि जरदारी वर्ष 2008 में संसद के दोनों सदनों और चार प्रांतीय विधानसभाओं द्वारा चुना गया और उस समय कोई आपत्ति नहीं थी।’’ सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के सूत्रों ने आज बताया कि उम्मीद है कि जब गिलानी कल अदालत में उपस्थित होंगे तो वह अपने रूख पर कायम रहेंगे।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि दोषी करार दिये जाने के बाद राष्ट्रपति के पास उन्हें क्षमादान देने का अधिकार है।
जानेमाने वकील एवं सांसद एस एम जफर ने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान तभी लागू होगा जब सजा अदालत की ओर से सुनायी जाती है लेकिन उस स्थिति में उनकी दोषसिद्धि रिकार्ड में रहेगी। इसलिए राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान के बावजूद प्रधानमंत्री अयोग्य घोषित हो सकते हैं।
कानूनी विशेषज्ञों ने कहा कि दोषी करार दिये जाने के बाद राष्ट्रपति के पास उन्हें क्षमादान देने का अधिकार है।
जानेमाने वकील एवं सांसद एस एम जफर ने कहा कि राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान तभी लागू होगा जब सजा अदालत की ओर से सुनायी जाती है लेकिन उस स्थिति में उनकी दोषसिद्धि रिकार्ड में रहेगी। इसलिए राष्ट्रपति की ओर से क्षमादान के बावजूद प्रधानमंत्री अयोग्य घोषित हो सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Monday, February 13, 2012, 09:12