धमकियों ने ठंडा किया बलुचिस्तान में चुनाव प्रचार

धमकियों ने ठंडा किया बलुचिस्तान में चुनाव प्रचार

धमकियों ने ठंडा किया बलुचिस्तान में चुनाव प्रचारक्वेटा : लश्कर-ए-झांगवी और ‘मौत के दस्तों’ की धमकियों और उनके डर के कारण पाकिस्तान के बलुचिस्तान प्रांत में देश में 11 मई को होने वाले आम चुनाव की गहमागहमी थम ही गई है। सिर्फ इतना ही नहीं चुनाव के प्रत्याशी और विभिन्न दलों के नेता उन्हें धमकियां देने वालों के नाम तक बताने को इच्छुक नहीं हैं।

पाकिस्तान के इतिहास में महत्वपूर्ण लोकतांत्रिक सत्ता परिवर्तन के लिए चुनाव को महज एक सप्ताह बचा है लेकिन विभिन्न धमकियों और चेतावनियों ने बलुचिस्तान प्रांत के नेताओं और वहां से चुनाव लड़ रही पार्टियों को अपना प्रचार बंद करने पर मजबूर कर दिया है।

पीएमएल-क्यू की नेता और अल्पसंख्यक हजारा समुदाय की सदस्य रूकैया सईद हाशमी का कहना है कि उन्हें पिछले कुछ दिनों से धमकियां मिल रही हैं क्योंकि वह ‘महिला और शिया हैं’। रूकैया बलुचिस्तान की राजधानी क्वेटा संसदीय क्षेत्र से संघीय एसेंबली की प्रत्याशी हैं।

हजारा डेमोक्रेटिक पार्टी के महासचिव अब्दुल खालिक हजारा ने कहा कि उनका चुनाव प्रचार क्वेटा के हजारा बहुल इलाकों तक ही सिमट कर रह गए हैं और वह जातिय बलूच, पंजाबी और पश्तून मतदाताओं में प्रचार नहीं कर सके।

अब्दुल खालिक हजारा ने क्वेटा में विदेशी पत्रकारों के एक समूह से कहा, ‘‘23 अप्रैल को मैं एक नुक्कड़ पर लोगों को संबोधित करके हटा ही था कि वहां बम विस्फोट हो गया । मैं बाल-बाल बचा । हम आतंकवाद की डर के साये में चुनाव प्रचार कर रहे हैं।’’ पाकिस्तान में नियुक्त दो भारतीय पत्रकारों को वर्षों में पहली बार बलुचिस्तान जाने की इजाजत मिली थी।

लेकिन रूकैया और हजारा दोनों ही उन्हें और उनके चुनाव प्रचारों के खिलाफ धमकियां दे रहे लोगों का नाम बताने से हिचकते रहे।

रूकैया ने कहा, ‘‘पिछले दो-तीन दिनों से मुझे धमकी भरे पत्र और संदेश मिल रहे हैं । मैं यह नहीं बताउंगी कि इन धमकियों के पीछे कौन है, उनका नाम लेना उपयुक्त नहीं है ।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन सभी जानते हैं कि इन धमकियों के पीछे कौन है।’’ हजारा ने कहा कि एक ‘प्रतिबंधित संगठन’ ने उनके समुदाय के सैकड़ों लोगों की हत्या करने की जिम्मेदारी ली है। (एजेंसी)

First Published: Saturday, May 4, 2013, 18:39

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