Last Updated: Wednesday, May 1, 2013, 14:15

ज़ी मीडिया ब्यूरो
वाशिंगटन : अमेरिका की संघीय परामर्श इकाई ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीजा मिलने और उनके यहां पहुंचने की संभावनाओं पर चिंता जताई है। मोदी पर वर्ष 2002 के गुजरात दंगों का आरोप है। कांग्रेस की ओर से स्थापित एक इंडिपेन्डेंट पैनल (धार्मिक आजादी पर आधारित) ने अमेरिकी प्रशासन से कहा है कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर लगाए गए वीजा बैन को बरकरार रखा जाए। इस समिति का कहना है कि ऐसे साक्ष्य मौजूद हैं, जो 2002 में गुजरात में हुए दंगों से मोदी को जोड़ते हैं।
यूएस कमिशन फॉर इंटरनेशनल रिलीजियस फ्रीडम (यूएससीआईआरएफ) की अध्यक्षा कैटरीना लेंटोस स्वेट ने सालाना रिपोर्ट जारी करने के मौके पर एक प्रेस कांफ्रेंस में पत्रकारों से कहा कि इस बात के काफी साक्ष्य हैं, जो उन्हें (मोदी) गुजरात में हुई हिंसा से जोड़ते हैं। इस वजह से मोदी को वीजा देना उचित नहीं होगा।
अपने सालाना रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने इस बात का जिक्र किया है कि मोदी अभी तक अकेले व्यक्ति हैं, जिनके खिलाफ अमेरिका ने धार्मिक आजादी के आधार पर वीजा बैन के प्रावधान को लागू किया है। अमेरिका ने गुजरात दंगों को लेकर मार्च, 2005 में मोदी पर यह बैन लगाया था। इन दंगों में अनुमानित तौर पर 1100 से 2000 मुस्लिमों की मौत हो गई थी। यूएससीआईआरएफ ने स्टेट एंड होमलैंड सिक्योरिटी विभाग से इस बात की अपील की है कि ऐसे लोगों की सूची पर फिर से तैयार की जाए, जिनके यूएस में प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यूएससीआईआरएफ ने 2012 में अमेरिका की तत्कालीन विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन को पत्र लिखकर अंदेशा जताया था कि मोदी अमेरिकी वीजा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
विदेशों में धार्मिक स्वतंत्रता के हनन से संबंधित मामलों की निगरानी करने वाली यूएससीआईआरएफ ने वर्ष 2013 की अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि वह अब भी अमेरिकी विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय से अपील करती है कि ऐसे लोगों की सूची बनाए, जिन्हें धार्मिक स्वतंत्रता के हनन के आधार पर अमेरिका में प्रवेश से प्रतिबंधित किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में वर्ष 2008 से धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कोई साम्प्रदायिक हिंसा नहीं हुई है और हाल के वर्षों में भारत सरकार ने पूर्व के ऐसे मामलों से निपटने के लिए विशेष जांच एवं न्यायिक संरचना भी बनाई है। लेकिन पूर्व में ऐसी घटनाओं का शिकार हो चुके लोगों को इन संरचनाओं से न्याय मिलने की प्रक्रिया बहुत धीमी व अप्रभावी है। रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि भारत में मुसलमान, ईसाई तथा सिख सहित धार्मिक अल्पसंख्यकों की संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन पूर्व में साम्प्रदायिक हिंसा का शिकार हो चुके मुसलमानों, ईसाइयों तथा सिखों को अब तक पूरी तरह न्याय नहीं मिल पाया है। यूएसआरआईएफ ने अपनी रिपोर्ट में यह भी कहा कि साम्प्रदायिक हिंसा के दौरान बलात्कार जैसी घटनाएं आम हैं।
यूएससीआईआरएफ की सालाना रिपोर्ट में धार्मिक आजादी मसले पर भारत को टीयर-2 देशों की सूची में रखा गया है। इस सूची में सात अन्य देश अफगानिस्तान, अजरबैजान, क्यूबा, इंडोनेशिया, कजाकिस्तान, लाओस और रूस शामिल हैं।
First Published: Wednesday, May 1, 2013, 11:02