Last Updated: Friday, January 27, 2012, 16:52
ओस्लो : दो भारतीय बच्चों को उनके माता-पिता से अलग करने पर आलोचना से घिरे नार्वे की सामाजिक सेवा शाखा ने कहा कि वह उन्हें भारत में उनके चाचा की देखभाल में देने पर विचार कर रहा है। इस प्रकरण से भारत और नार्वे के बीच राजनयिक विवाद पैदा हो गया है।
स्टावानगेर के नगर प्रशासन ने एक बयान में कहा, ‘परिवार ने प्रस्ताव दिया है कि बच्चे के पिता के भाई को उनका संरक्षण लेना चाहिए। स्टावानगेर की बाल कल्याण सेवा शाखा भारत में उनके जैविक परिवार नेटवर्क के अंतर्गत बच्चों को देने की संभावना पर विचार करने के लिए तैयार है।’ इस मामले ने भारत में लोगों का काफी ध्यान खींचा था। इस मामले ने उस समय राजनयिक मोड़ ले लिया जब विदेश मंत्री एस.एम. कृष्णा ने मांग की कि नार्वे को सौहार्दपूर्ण एवं तत्काल हल ढ़ूंढना चाहिए कि बच्चे अपने जैविक माता-पिता के पास लौटें।
नार्वे के स्टावानगेर में रह रहे अनुरूप भट्टाचार्य और उनकी पत्नी सागरिका भट्टाचार्य को तब अपने बच्चों से अलग होना पड़ा जब शाखा यह कहते हुए उनके बच्चों को ले गई कि उनकी उचित देखभाल नहीं हो रही है।
(एजेंसी)
First Published: Friday, January 27, 2012, 22:22