Last Updated: Thursday, September 27, 2012, 17:31
लंदन : प्रवासी भारतीय उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल ने कहा है कि विश्व में शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों की सूची में स्थान बनाने में असफल रहे भारतीय विश्वविद्यालयों को वैश्विक पहचान प्राप्त करने के लिए नालंदा जैसे प्राचीन शैक्षिक संस्थानों का अनुकरण करना चाहिए। एमआईटी के भूतपूर्व छात्र एवं दो ब्रिटिश विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पॉल ने कहा कि उच्च शिक्षा में उनका अपना अनुभव यह बताता है कि समुदाय निर्माण की अवधारणा से महत्वपूर्ण लाभ और परिणाम मिलते हैं।
उन्होंने कहा, ‘जब भी संभव हुआ है मैंने इस विचार को प्रोत्साहित और बढ़ावा दिया है। प्रत्येक उदाहरण में संबंधित विश्वविद्यालय के प्रदर्शन और रेटिंग में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है। यह कोई नया विचार नहीं है।’ उन्होंने कहा, ‘यह नालंदा जैसे प्राचीन अकादिमयों की भावना में है जिसे हम इस धारणा के साथ पुनर्गठित करने का प्रयास कर रहे हैं कि शिक्षा देवी सरस्वती की ओर से भारत को मिला एक वरदान है।’
पॉल की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है जब इस महीने के शुरू में घोषित प्रतिष्ठित ‘क्यूएस वर्ल्ड यूनीवर्सिटी रैंकिंग’ की शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय स्थान हासिल नहीं कर पाया। उन्होंने हालांकि कहा कि कई भारतीय संस्थान काफी अच्छा कर रहे हैं लेकिन उनके पास पर्याप्त कोष नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, September 27, 2012, 17:31