नेपाल की माओवादी पार्टी में विभाजन, हिंसा की आशंका

नेपाल की माओवादी पार्टी में विभाजन, हिंसा की आशंका

नेपाल की माओवादी पार्टी में विभाजन, हिंसा की आशंकाकाठमांडू : नेपाल में सत्तारूढ़ माओवादी पार्टी में मंगलवार को विभाजन हो गया और कट्टरपंथी मोहन वैद्य ‘किरन’ इस नई शाखा के प्रमुख बने हैं। भारत विरोधी वैद्य के माओवादी पार्टी से अलग होने के बाद आशंका है कि वे लोग फिर से हथियार न उठा लें।

तीन दिन के राष्ट्रीय सम्मेलन के बाद यूसीपीएन (माओवादी) में विभाजन की घोषणा करते हुए वैद्य ने कहा कि उनका समूह संसदीय प्रणाली को कभी स्वीकार नहीं करेगा।

उन्होंने देश में ‘नया गणराज्य’ स्थापित करने के लिए ‘जन क्रांति’ या ‘जन युद्ध’ शुरू करने की धमकी दी है।

भारत के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए नवगठित ‘नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी माओवादी’ ने भारत के साथ सभी असमान समझौतों को रद्द करने की मांग की। इन समझौतों में वर्ष 1950 में हुई नेपाल-भारत शांति और मित्रता संधि भी शामिल है।

वैद्य ने ‘अपर करनाली’ और ‘अरूण थिर्द’ पनबिजली परियोजनाएं बनाने के लिए भारतीय कंपनियों को मिली अनुमति को राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताते हुए उन्हें वापस लेने की मांग की।

माओवादियों के इस विभाजन से नेपाल में नई चुनौतियां सामने आने की आशंका है। दस वर्ष चले गृह युद्ध के 2006 में खत्म होने के बाद देश शांति प्रक्रिया से गुजर रहा है।

माओवादी प्रमुख प्रचंड और प्रधानमंत्री बाबू राम भट्टाराई को ‘नव-सुधारवादी’ और ‘विस्तारवादी’ कहते हुए वैद्य ने भारत पर आरोप लगाया कि उसने पार्टी में इन नेताओं की अगुवाई के दौरान देश में अपना हस्तक्षेप बढ़ा दिया है ।

उन्होंने कहा कि प्रचंड-बाबूराम धड़े ने ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ को भंग करके जन युद्ध और जन आंदोलन की सफलता को कम कर दिया। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, June 19, 2012, 19:36

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