Last Updated: Monday, August 15, 2011, 06:30
काठमांडू : साढ़े छह महीने पहले प्रधानमंत्री बने नेपाल के प्रधानमंत्री झलनाथ खनाल के रविवार को इस्तीफ़ा दे देने से देश में राजनीतिक संकट गहरा गया है. झलनाथ खनाल ने कहा था कि अगर वो नेपाल में शांति प्रक्रिया बहाल करने में सफल नहीं रहे तो वे पद छोड़ देंगे. इसमें 19000 पूर्व माओवादी विद्रोहियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल करना शामिल है. मई 2008 के बाद से वे नेपाल के तीसरे प्रधानमंत्री थे.
इस साल मई में राजनीतिक पार्टियाँ इस बात पर सहमत हुई थीं कि संविधान सभा का कार्यकाल तीन महीने और बढ़ा दिया जाए. पार्टियों ने कहा था कि इस दौरान वे संविधान का मसौदा तैयार कर लेंगी और शांति प्रक्रिया का काम भी पूरा कर लेंगी. संविधान का मसौदा तैयार करने की समयसीमा 31 अगस्त को ख़त्म हो रही है लेकिन पार्टियाँ किसी सहमति पर नहीं पहुँची हैं. अगर राजनीतिक दल किसी सर्वसम्मति पर नहीं पहुँचते हैं तो झलनाथ खनाल का इस्तीफ़ा नेपाल को नए संकट की ओर धकेल सकता है.
First Published: Monday, August 15, 2011, 12:00