Last Updated: Monday, April 29, 2013, 15:03

लाहौर : पाकिस्तान के अधिकारियों ने सोमवार को मीडिया की उस खबर को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि एक चिकित्सा बोर्ड जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह को उपचार के लिए बाहर भेजने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के सीईओ महमूद शौकत की अगुवाई वाले चार सदस्यीय चिकित्सा बोर्ड ने सोमवार सुबह सरबजीत की नियमित जांच की है। बीते शुक्रवार को हुए हमले के बाद से सरबजीत का इसी अस्पताल में उपचार चल रहा है।
उन्होंने मीडिया की उस खबर को खारिज कर दिया कि जिसमें कहा गया था कि यह चिकित्सा बोर्ड सरबजीत को उपचार के लिए विदेश ले जाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है।
पंजाब प्रांत के स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। इस अधिकारी ने कहा कि असल बात यह है कि इस चिकित्सा बोर्ड को सरबजीत को विदेश भेजने के बारे में फैसला करने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि चिकित्सा बोर्ड मरीज पर नजदीकी निगरानी बनाए हुए हैं और सरबजीत को ‘सर्वश्रेष्ठ उपचार’ दिया जा रहा है। अस्पताल के सूत्रों के मुताबिक सरबजीत की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ है।
सूत्रों ने कहा कि चिकित्सा बोर्ड में शौकत के अलावा प्रोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट की प्राचार्य अंजुब हबीब वोहरा, जिन्ना अस्पताल के न्यूरो विभाग के प्रमुख जफर चौधरी और किंग एडवर्ड मेडिकल यूनिवर्सिटी के न्यूरो-फिजीशियन नईम कसूरी शामिल हैं। इससे पहले खबर आई थी कि शौकत की अगुवाई वाले बोर्ड को सरकार ने आदेश दिया है कि वह इस बात का फैसला करे कि 49 वर्षीय सरबजीत को उपचार के लिए विदेश भेजा जाए या फिर विदेशी न्यूरोसर्जन को यहां बुलाया जाए।
सरबजीत पर शुक्रवार को लाहौर के कोटलखपत जेल में हमला हुआ था जिसके बाद से वह जिन्ना अस्पताल में भर्ती है। वह गहरे कोमा में है और चिकित्सकों का कहना है कि उसके बचने की संभावना कम है।
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में 1990 में हुए बम हमलों में संलिप्तता के लिये सरबजीत को दोषी ठहराया गया था जिसमें 14 व्यक्ति मारे गये थे । सरबजीत के परिवार का कहना है कि वह गलत पहचान का शिकार बना है। (एजेंसी)
First Published: Monday, April 29, 2013, 15:03