Last Updated: Sunday, May 12, 2013, 14:39

इस्लामाबाद : पाकिस्तान पर 2008 से ही शासन कर रही पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को चुनाव में करारा झटका लगा है और पूर्व प्रधानमंत्री राजा परवेज अशरफ के अपने पूर्ववर्ती युसूफ रजा गिलानी के दो बेटों के साथ चुनाव हारने से पार्टी के लिए और शर्मनाक स्थिति हो गयी है। अशरफ को एनए 51 ( रावलपिंडी 2) सीट पर तगड़ी शिकस्त मिली है। जियो न्यूज ने यह समाचार दिया है ।
अनाधिकृत और शुरूआती परिणामों के अनुसार, पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएल एन) के उम्मीदवार राजा मोहम्मद जावेद इखलास ने अशरफ को इस सीट पर पछाड़ा। इखलास को 82, 339 वोट जबकि राजा परवेज अशरफ को 23, 233 वोट मिले।
इसी प्रकार गिलानी के दो बेटे अली मूसा गिलानी तथा अब्दुल कादिर गिलानी अपनी मुल्तान सीटों से चुनाव हार गए हैं। अब्दुल का पिछले सप्ताह चुनाव प्रचार के दौरान संदिग्ध तालिबान आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था।
इससे पूर्व , पाकिस्तान की एक अदालत ने गिलानी को अयोग्य करार दिया था। अनाधिकृत चुनाव परिणामों को देखें तो पिछले पांच साल से देश पर शासन करने वाली पीपीपी को बड़ा झटका लगा है और यह सिंध तक सिमट कर रह गयी है।
उपलब्ध रूझानों के अनुसार पीपीपी के तीसरे नंबर पर रहने की संभावना है लेकिन यदि पीएमएल एन 342 सदस्यीय नेशनल असेम्बली में साधारण बहुमत हासिल करने में विफल रहती है तो सरकार बनाने में यह महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है।
पूर्व सूचना मंत्री कमर जमान कैरा समेत पीपीपी के शीर्ष नेता देश के सबसे बड़े प्रांत पंजाब में अपनी सीटें गंवा बैठे हैं । इस समय संसद के उच्च सदन में पीपीपी के पास अगले कम से कम डेढ़ साल के लिए बहुमत है । ऐसे में नयी सत्तारूढ़ पार्टी के लिए पीपीपी की सहमति के बिना महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित करा पाना मुश्किल होगा। 1970 के चुनाव में पीपीपी के जुल्फिकार अली भुट्टो ने पंजाब को जीता था और इस शानदार जीत के बाद लाहौर को काफी समय तक पार्टी का गढ़ माना जाता रहा।
लेकिन वर्ष 2013 के अनाधिकृत परिणाम बताते हैं कि पार्टी एक बार फिर केवल सिंध तक सिमट गयी है जैसा कि 1997 में हुआ था। उस समय बेनजीर भुट्टो की अगुवाई वाली पीपीपी को नेशनल असेम्बली में 20 से भी कम सीटें मिली थीं । एक्सप्रेस न्यूज में यह रिपोर्ट प्रकाशित हुई है ।
पिछले पांच साल में पार्टी ने पंजाब में अपनी छवि को बनाए रखने के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन इसके खराब प्रदर्शन के चलते इस इलाके में इसके चुनावी सपने ध्वस्त हो गए । पीपीपी ने पंजाब को दो भागों में बांटने का भी वादा किया था लेकिन उसका यह नारा भी दक्षिणी पंजाब में उसे वोट दिलाने में कामयाब नहीं हुआ।
वर्ष 2008 के चुनाव में आसिफ अली जरदारी के नेतृत्व में पीपीपी ने नेशनल असेम्बली की 97 सीटें हासिल की थीं । महिलाओं के लिए आरक्षित 24 और अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षित चार सीटों को हासिल करने के बाद 340 सदस्यीय सदन में पीपीपी का आंकड़ा 124 तक पहुंच गया था और पार्टी ने एमक्यूएम , एएनपी तथा जेयूआई एफ के साथ मिलकर गठबंधन सरकार बनायी थी। (एजेंसी)
First Published: Sunday, May 12, 2013, 12:54