Last Updated: Thursday, April 19, 2012, 08:44
वाशिंगटन : अमेरिका के एक शीर्ष सीनेटर ने कहा है कि पाकिस्तान ने अपनी अधिकतर सेना को अफगान सीमा पर तैनाती के बजाय उसे ‘कश्मीर सीमा’ पर तैनात कर रखा है और वह आतंकियों के शरणस्थलों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कश्मीर का ‘बहाना’ नहीं बना सकता।
वाशिंगटन स्थित एक प्रमुख थिंक टैंक कार्नेजी एंडोवमेंट फोर इंटरनेशनल पीस में एक सवाल के जवाब में रिपब्लिकन सीनेटर जान मैक्केन ने कहा कि निश्चित रूप से कई मायनों में कश्मीर का महत्वपूर्ण प्रभाव है। जिनमें काफी बड़ी संख्या में सैनिकों को अफगान सीमा के बजाय कश्मीर सीमा पर तैनात करना भी शामिल है।
हमारी नजर में इन सैनिकों का अफगान सीमा पर अधिक सार्थक उपयोग हो सकता था। पिछले साल जम्मू कश्मीर का दौरा करने वाले मैक्केन ने कहा कि मैं समझता हूं कि यह एक लंबे समय से चली आ रही समस्या है। मैं समझता हूं कि कम से कम इस बारे में बात तो हुई है कि भारतीय कश्मीर पर चर्चा करने के मूड में हैं। काफी लोग मारे गए हैं। यह एक दुखद स्थिति है।
मैक्केन ने कहा कि लेकिन किसी भी तरीके से कश्मीर को हक्कानी नेटवर्क के साथ संबंध तोड़ने का बहाना बनाना अब हमारे पास बड़े हमलों को लेकर पुख्ता सबूत हैं। इससे यह तथ्य नहीं बदलता कि यह अकाट्य सच है कि आईएसआई के लगातार हक्कानी नेटवर्क से घनिष्ठ संबंध हैं जो अमेरिकियों की मौत का जिम्मेदार है। मैक्केन ने कहा कि कश्मीर एक ‘बड़ा नाजुक मामला है’ लेकिन इस आतंकियों के खिलाफ अधिक मजबूती से कार्रवाई करने में विफल रहने के लिए बहाने के तौर पर इस्तेमाल करना, मेरे हिसाब से बेतुका है क्योंकि ये आतंकी अफगानिस्तान में खुलेआम हमले कर रहे हैं।
पाक सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कियानी के बयान के बारे में पूछे जाने पर मैक्केन ने कहा कि जमीनी सचाई बेहद स्पष्ट है कि आधुनिक तरीके से प्रशिक्षित अधिसंख्यक सैनिकों को कश्मीर के साथ लगती सीमा पर तैनात रखा गया है, बजाय उन्हें अफगानिस्तान की सीमा पर लगाने के। कियानी ने कहा था कि वह कम रक्षा खर्च तथा भारत के शांतिपूर्ण सह अस्तित्व के पक्ष में हैं। अमेरिकी सीनेटर ने कहा कि ‘हमारे लिए यह कभी न खत्म होने वाली हताशा’ है कि हम उन संबंधों को ‘जारी रहते देख रहे हैं’ जो हक्कानी नेटवर्क और आईएसआई के बीच हैं।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, April 19, 2012, 16:43