Last Updated: Monday, December 24, 2012, 19:11
वाशिंगटन : भारत अफगानिस्तान में पाकिस्तान को सामरिक गहराई से वंचित करना और यह सुनिश्चित करना चाहता है कि वहां उसके हितों पर हमले नहीं किए जाए, लेकिन कोई बड़ी सुरक्षा भूमिका निभा कर पाकिस्तान की भावनाओं को भड़काने में उसकी ज्यादा दिलचस्पी नहीं है।
अमेरिका की एक संसदीय रिपोर्ट में यह टिप्पणी की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि दो अहम पड़ोसियों के साथ अफगानिस्तान का रूख ‘‘नाजुक संतुलनकारी कृत्य’’ है।
अमेरिकी संसद की एक स्वतंत्र शोध शाखा ‘कांग्रेशनल रिसर्च सर्विस’ की रिपोर्ट में इसके भी ब्योरे हैं कि अफगानिस्तान में भारत की गतिविधियां किस तरह पाकिस्तान के विपरीत हैं और कैसे भारत तालिबान के साथ सुलह-सफाई से चौकस और सतर्क है।
सीआरएस की नवीनतम अफगान रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘अफगानिस्तान में भारत के हित और गतिविधियां पाकिस्तान के हित और गतिविधियों के विपरीत हैं। भारत का लक्ष्य अफगानिस्तान में पाकिस्तान को ‘सामरिक गहराई’ से वंचित करना है, व्यापार और मध्य एशिया के साथ अन्य रिश्तों में भारत को रोकने की क्षमता से पाकिस्तान को वंचित करना और अफगानिस्तान में भारतीय लक्ष्यों पर हमला करने से अफगानिस्तान में आतंकवादियों को रोकना है।’’
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत तालिबान के साथ सुलह-सफाई के हाल के प्रयासों के प्रति चौकस है। यह अफगानिस्तान में पाकिस्तान का प्रभाव बढ़ाएगा। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत ने हाल ही में नदर्न अलायंस के साथ अपने संपर्क बढ़ा दिए हैं। भारत अतीत में नदर्न अलायंस का समर्थन किया था।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 1996-2001 के दौरान अलकायदा की मेजबानी करने के अफगान तालिबान के कदम को एक बड़े खतरे के रूप में देखता है क्योंकि पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा जैसे चरमपंथी इस्लामी संगठनों के साथ अलकायदा के रिश्ते हैं।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अफगानिस्तान ने भारत के साथ निकट संबंध चाहा था, लेकिन पाकिस्तान को चिंतित किए बगैर। यह संतुलन बैठाने का एक नाजुक कृत्य है जिसका अमेरिका समर्थन कर रहा है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पूर्व अफगान राष्ट्रपति बुरहानुद्दीन रब्बानी की हत्या के तुरंत बाद अफगान राष्ट्रपति हामिद कर्जई भारत के साथ ‘सामरिक साझेदारी’ समझौता करने दिल्ली गए। (एजेंसी)
First Published: Monday, December 24, 2012, 19:11