Last Updated: Thursday, May 3, 2012, 09:06
लाहौर/इस्लामाबाद : पाकिस्तान की एक अदालत ने अवमानना के दोषी प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ दायर की गई दो याचिकाओं पर यहां की संघीय सरकार को नोटिस जारी किया है। लाहौर हाईकोर्ट ने दोनों याचिकाओं पर दलील सुनने के बाद कल सरकार को नोटिस जारी किया। इन दोनों याचिकाओं की पैरवी वकील एके डोगर ने की। डोगर मुंबई हमले के आरोपी आतंकवादी हाफिज सईद के भी वकील हैं।
डोगर ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद प्रधानमंत्री और उनकी कैबिनेट अयोग्य हो गई है तथा उन्हें अयोग्य ठहराने के लिए किसी प्रक्रिया की जरूरत नहीं है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश शेख अजमत सईद से मांग की कि वह बिना किसी डर के प्रधानमंत्री गिलानी को अयोग्य ठहरा दें। सईद याचिकाओं पर डोगर का पक्ष सुन रहे थे।
डोगर की दलील पर न्यायाधीश सईद ने कहा कि अदालत को कोई डर नहीं है और वह संविधान के मुताबिक फैसला देगी। इसके बाद मामले की सुनवाई सात मई तक के लिए स्थगित कर दी गई। लाहौर उच्च न्यायालय ने पाकिस्तान के एटॉर्नी जनरल को आदेश दिया कि वह इस मामले में अदालत का सहयोग करें। इसी से जुड़े एक अन्य घटनाक्रम में इस्लामाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति शौकत अजीज सिद्दीकी ने एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में भी गिलानी को प्रधानमंत्री पद से हटाने और उनकी कैबिनेट को भंग करने का आदेश देने की मांग की गई थी। सिद्दकी ने कहा कि याचिका समय से पहले ही दायर कर दी गई है और सुप्रीम कोर्ट का पूरा फैसला देखने से पहले इस पर कुछ नहीं किया जा सकता।
पिछले दिनों पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने गिलानी को अदालती अवमानना का दोषी करार दिया था। उन्हें राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों को फिर से खोलने में नाकाम रहने पर अवमानना का दोषी करार दिया गया। गिलानी का कहना रहा है कि उन्हें न्यायपालिका नहीं, बल्कि संसद अयोग्य ठहरा सकती है और वह संसद के फैसले को ही मानेंगे।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, May 3, 2012, 14:36