Last Updated: Monday, January 16, 2012, 08:07
ज़ी न्यूज ब्यूरो इस्लामाबाद : चुनौतियों से घिरी पाकिस्तान की असैन्य सरकार को सोमवार को उस वक्त एक और झटका लगा, जब देश के शीर्ष न्यायालय ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने में नाकाम रहने पर प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी के खिलाफ अवमानना का नोटिस जारी किया। न्यायालय ने गिलानी से 19 जनवरी को उसके सामने हाजिर होने के लिए भी कहा है। इस नए घटनाक्रम से गिलानी सरकार का संकट गहरा गया है। सरकार पहले से ही सेना के साथ मेमोगेट विवाद को लेकर टकराव की स्थिति में है।
उधर, कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आज के आदेश का पालन होगा। फिर इसके बाद कानून मंत्री ने गिलानी से मुलाकात की। कोर्ट के इस आदेश के बाद अब गिलानी को छह महीने की जेल या जुर्माना, या दोनों ही सजा संभव हो सकती है। वहीं, राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो ने कोर्ट से माफी मांगी और माफीनामा भी दाखिल किया।
जरदारी और आठ हजार से अधिक अन्य लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के चर्चित मामले फिर से खोलने के सुप्रीम कोर्ट के आदेशों से जुड़े मामले की सुनवाई आज शुरू करने वाले न्यायमूर्ति नासिर उल मुल्क की अध्यक्षता में सात न्यायाधीशों की पीठ ने यह आदेश जारी किया। पीठ ने गिलानी को अदालत में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर इस सवाल का जवाब देने का निर्देश दिया कि अदालत के आदेशों को जानबूझकर नजरअंदाज करने पर उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जाए।
पीठ ने कहा कि शीर्ष न्यायालय ने भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के संबंध में उसके आदेशों को जारी करने के लिए सरकार को कई बार निर्देश दिए हैं, हालांकि सरकार ने इन आदेशों पर जानबूझकर कोई कदम नहीं उठाया।
जारी पाकिस्तान की सबसे बड़ी अदालत द्वारा नियुक्त आयोग भी गुप्त ज्ञापन मुद्दे पर जांच कर रहा है और इसकी आज सुनवाई हुई जो बेनतीजा रही। न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री के खिलाफ आदेश जारी करने से पहले सरकार के शीर्ष विधि अधिकारी ने उसे सूचित किया कि उन्हें भ्रष्टाचार के मामले फिर से खोलने के आदेश को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं मिले हैं।
अदालत ने राष्ट्रपति जरदारी के खिलाफ कथित धनशोधन के मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने संबंधी उसके आदेशों पर सरकार का जवाब पेश नहीं करने पर अटार्नी जनरल अनवर-उल-हक को फटकार लगाई। अटार्नी जनरल ने पीठ से कहा कि उन्होंने अदालत के निर्देशों के बारे में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अन्य अधिकारियों को सूचित किया है लेकिन उनकी ओर से कोई निर्देश नहीं मिले हैं। इस पर पीठ ने अटार्नी जनरल को फटकार लगाई। हक ने कहा कि सरकार अब भी इस मामले में विचार विमर्श कर रही है। पीठ ने अटार्नी जनरल से पूछा कि क्या सरकार को इस मुद्दे पर कुछ कहना है। पीठ ने साथ ही कहा कि अदालत इस मामले में आदेशों को जारी करने के लिए स्वतंत्र है। जवाब में हक ने सिर्फ इतना कहा कि उन्हें कोई निर्देश नहीं मिला है क्योंकि सरकार इस मामले पर अब भी विचार कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार पर राष्ट्रपति के खिलाफ स्विटजरलैंड में मामले फिर से खोलने के लिए दबाव बना रहा है। अदालत ने भ्रष्टाचार के मामलों में माफी को खारिज कर दिया है जिससे जरदारी और आठ हजार से अधिक अन्य लोगों को दिसंबर 2009 में फायदा पहुंचा था। न्यायालय का कहना है कि पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ द्वारा 2007 में जारी आम माफी संबंधी अध्यादेश असंवैधानिक और अवैध है। अदालत से दबाव के बावजूद सरकार ने जरदारी के खिलाफ मामले फिर से खोलने के लिए स्विस अधिकारियों को पत्र लिखने से इंकार कर दिया है। सरकार का कहना है कि राष्ट्रपति को अभियोजन के संबंध में संवैधानिक छूट मिली हुई है।
यह पहला मौका नहीं है, जब पाकिस्तान के किसी प्रधानमंत्री को अदालती अवमानना का नोटिस दिया गया है। इससे पहले नवंबर, 1997 में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को एक मामले में अदालती अवमानना के लिए जिम्मेदार बताया गया था।
First Published: Monday, January 16, 2012, 19:27