Last Updated: Monday, April 9, 2012, 07:25
ज़ी न्यूज ब्यूरो नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 1992 के हत्या के एक मामले में राजस्थान के अजमेर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 80 वर्षीय बीमार पाकिस्तानी सूक्ष्मजीव विज्ञानी मोहम्मद खलील चिश्ती को सोमवार को जमानत दे दी।
न्यायमूर्ति पी सदाशिवम् और न्यायमूर्ति जे चेलमेश्वर की पीठ ने चिश्ती को यह राहत उसकी अधिक उम्र तथा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए दी कि वह अपने खिलाफ हत्या का मामला दर्ज होने के बाद गत 20 वर्ष से जेल में बंद हैं। हत्या का मामला तब का है जब वह अजमेर की यात्रा पर आया था।
न्यायालय इसके साथ ही चिश्ती के कराची वापस जाने देने के अनुरोध पर भी सुनवायी करने पर सहमत हुआ और उससे कहा कि वह इसके लिए अलग याचिका दायर करे। पीठ ने हालांकि चिश्ती से कहा कि वह अगले आदेश तक अजमेर छोड़कर नहीं जाए।
पीठ ने आदेश देते हुए कहा, ‘हम इस बात से संतुष्ट हैं कि जमानत पर रिहा किये जाने का मामला बनता है।’ चिश्ती को जमानत पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की भारत यात्रा के दौरान दोनों देशों के अधिकारियों के बीच उनके मामले पर चर्चा होने के एक दिन बाद मिली है।
वर्ष 1992 में अपनी बीमार मां से मिलने के लिए आया चिश्ती एक विवाद में फंस गया। इस दौरान हुए झगड़े में चिश्ती के एक पड़ोसी की गोली मारकर हत्या कर दी गई जबकि चिश्ती का भतीजा घायल हो गया। हत्या के इस मामले में 18 वर्ष चली सुनवायी के बाद अजमेर की सत्र अदालत ने अंतत: चिश्ती को दोषी ठहराया और उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी।
सत्र अदालत ने सुनवायी के दौरान चिश्ती को जमानत दे दी थी लेकिन उसे अजमेर नहीं छोड़ने का आदेश दिया गया था। दोषी साबित होने पर उसे सजा काटने के लिए फिर से गिरफ्तार किया गया। चिश्ती का जन्म अजमेर में एक समृद्ध खादिम परिवार में हुआ था। स्वतंत्रता के समय वह पाकिस्तान में पढ़ रहा था। बाद में उसने वहीं बसने और पाकिस्तान का नागरिक बनने का फैसला किया। अजमेर में वर्ष 1992 के हत्या मामले में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार होने के बाद सत्र अदालत ने उसे कुछ दिन बाद ही जमानत दे दी थी लेकिन उसने उसे अजमेर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया।
हृदय और बहरेपन समेत कई अन्य बीमारियों से पीड़ित चिश्ती दोषी साबित होने से पहले तक अपने भाई के मुर्गीपालन फार्म में रहता था। चिश्ती का मामला उस समय प्रकाश में आया था जब सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन न्यायाधीश न्यायमूर्ति मार्केंडय काटजू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि पाकिस्तानी नागरिक को मानवीय आधार पर माफ कर दिया जाए। चिश्ती कराची मेडिकल कालेज में विषाणु विज्ञान के प्रोफेसर हैं तथा उसने एडिनबर्ग यूनीवर्सिटी से पीएचडी की है।
First Published: Monday, April 9, 2012, 22:18