Last Updated: Wednesday, June 20, 2012, 17:02

इस्लामाबाद: पाकिस्तान में संसद का निचला सदन नेशनल असेम्बली शुक्रवार को एक विशेष सत्र में देश के नए प्रधानमंत्री का चुनाव करेगा। कपड़ा मंत्री मख्दूम शहाबुद्दीन व जल एवं बिजली मंत्री चौधरी अहमद मुख्तार इस पद के मजबूत दावेदार हैं। धार्मिक मामलों के मंत्री व पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) वरिष्ठ नेता खुर्शीद शाह ने मीडिया को बताया कि शुक्रवार को शाम 5.30 बजे संसद सत्र शुरू होगा जबकि नामांकन पत्र गुरुवार को दाखिल किए जाएंगे।
पहले कहा जा रहा था कि पीपीपी नेताओं ने प्रधानमंत्री पद के लिए शहाबुद्दीन को चुना है। सूत्रों ने 'जियो न्यूज' टीवी चैनल पर बताया कि मंगलवार देर रात राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की अध्यक्षता में पीपीपी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया।
वैसे पद पर उम्मीदवारी के लिए अंतिम निर्णय बुधवार को पीपीपी संसदीय पार्टी की बैठक के बाद लिया गया। शहाबुद्दीन रहीम यार खान जिले से नेशनल असेम्बली के सदस्य हैं जबकि मुख्तार गुजरात क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। दोनों ही जिले पंजाब प्रांत में हैं। मुख्तार पूर्व रक्षा मंत्री हैं।
वैसे जरदारी को नया प्रधानमंत्री चुनने की जिम्मेदारी सौंप चुके पूर्व प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी ने गठबंधन सहयोगियों के साथ बैठक के दौरान शहाबुद्दीन के नाम पर असहमति जतायी। मंगलवार रात पीपीपी की बैठक में जरदारी की बहन फरयाल तालपुर का नाम भी सामने आया था।
डॉन न्यूज के मुताबिक जरदारी ने मुख्तार, शहाबुद्दीन, विदेश मंत्री हिना रब्बानी खार व धार्मिक मामलों के मंत्री खुर्शीद शाह के नामों की अनुशंसा की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को फैसला सुनाया था कि गिलानी को 26 अप्रैल को अदालत की अवमानना का दोषी पाया गया था इसलिए वह प्रधानमंत्री पद पर रहने व सांसद बने रहने के अयोग्य हैं। गिलानी ने स्विस अधिकारियों को जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा खोलने के लिए पत्र न लिखकर अदालत के आदेश की अवमानना की थी।
मुख्य न्यायमूर्ति इफ्तिखार मोहम्मद चौधरी की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने नेशनल असेम्बली की स्पीकर फहमिदा मिर्जा के गिलानी को प्रधानमंत्री पद के योग्य ठहराने वाले फैसले को चुनौती देने वाली संवैधानिक याचिकाओं पर सुनवाई की थी। (एजेंसी)
गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय की सात सदस्यीय खंडपीठ ने 26 अप्रैल को गिलानी को अदालत की अवमानना का दोषी ठहराया था। वैसे इसके लिए उन्हें अदालत उठने तक या न्यायाधीशों के अदालत कक्ष से जाने तक खड़े रहने की मामूली सजा दी गई थी। फैसला सुनाए जाने के बाद गिलानी को केवल 30 सेकेंड खड़े रहना पड़ा। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, June 20, 2012, 17:02