Last Updated: Tuesday, January 17, 2012, 13:17

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में सरकार और सर्वोच्च न्यायालय आमने-सामने है। एक दिन पहले प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी को मिले अवमानना के नोटिस को जहां चुनौती दी गई है, वहीं न्यायालय ने सरकार के खिलाफ अपना रुख और कड़ा करते हुए राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के वकील को निलंबित कर दिया।
इस बीच, विपक्षी दल पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी-नवाज (पीएमएल-एन) ने कहा कि प्रधानमंत्री को अदालत के आदेश को स्वीकार करना चाहिए। पार्टी अध्यक्ष नवाज शरीफ ने यह भी कहा कि यदि गिलानी ने उनकी पार्टी की सलाह पर काम किया होता तो स्थिति खराब नहीं होती।
समाचार पत्र 'द नेशन' के मुताबिक, अधिवक्ता जफरुल्लाह ने प्रधानमंत्री गिलानी को भेजे गए अवमानना नोटिस को सर्वोच्च न्यायालय के लाहौर रजिस्ट्रार कार्यालय में चुनौती दी। अपनी चुनौती याचिका में जफरुल्लाह ने कहा कि संविधान की धारा 248-1 के तहत प्रधानमंत्री को भी वे विशेषाधिकार प्राप्त हैं, जो राष्ट्रपति को हैं।
राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले खोलने के लिए स्विट्जरलैंड सरकार को पत्र लिखने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर जफरुल्लाह ने कहा कि यह प्रधानमंत्री का काम नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने 10 जनवरी को सरकार को यह आदेश दिया था, ताकि स्विस बैंकों में जमा काले धन के बारे में जानकारी एकत्र की जा सके।
इस बीच, सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के वकील बाबर अवान को अस्थाई तौर पर निलम्बित कर दिया है। 'जियो न्यूज' के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय से अवमानना का नोटिस भेजे जाने के बाद बाबर अवान का कानूनी लाइसेंस निलंबित कर दिया गया। न्यायालय ने जरदारी से दूसरे वकील की सेवा लेने को कहा है। मामला जरदारी के ससुर पूर्व प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो को वर्ष 1979 में तत्कालीन सैनिक शासक जनरल जिया-उल-हक द्वारा फांसी की सजा दिए जाने से संबंधित मामले में न्यायालय के आदेश से जुड़ा है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की सरकार इसे त्रुटिपूर्ण बताते हुए मुकदमा दोबारा खुलवाना चाहती है।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले में अवान की टिप्पणी को अदालत का अपमान मानते हुए पांच जनवरी को अवमानना नोटिस जारी किया था। न्यायालय ने कड़े शब्दों में कहा था कि प्रथम दृष्टया अवान का आचरण सर्वोच्च न्यायालय के वकील बने रहने जैसी नहीं है। वहीं, रक्षा सचिव लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) नईम खालिद लोधी को बर्खास्त करने के सरकार के फैसले को भी चुनौती दी गई है। लोधी की बर्खास्तगी के खिलाफ यह याचिका वकील तारिक असद ने दायर की है। इसमें अदालत से प्रधानमंत्री गिलानी को बर्खास्तगी आदेश वापस लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
याचिका में प्रधानमंत्री, पूर्व रक्षा सचिव और कार्यकारी रक्षा सचिव को प्रतिवादी बनाया गया है। इन सबके बीच, पीएमएल-एन के अध्यक्ष नवाज ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री लोकतंत्र में यकीन रखते हैं तो उन्हें अदालत के आदेश को स्वीकार करना चाहिए। वह सर्वोच्च न्यायालय में 19 जनवरी को पेश होने संबंधी गिलानी की घोषणा पर प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहे थे, जिसमें न्यायालय ने उन्हें व्यक्तिगत तौर पर अपने समक्ष उपस्थित होने का आदेश दिया था। उन्होंने यह भी कहा कि 'तानाशाहों के असंवैधानिक कदम' का समर्थन करने वाले न्यायाधीशों को भी जवाबदेह बनाया जाना चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 17, 2012, 18:47