Last Updated: Wednesday, November 2, 2011, 15:56
इस्लामाबाद : पाकिस्तान ने भारत को व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा देने का फैसला किया है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार बढ़ेगा। हालांकि, पाकिस्तान ने साफ कर दिया है कि उसके इस कदम से कश्मीर मसले पर उसके रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं आएगा।
पाकिस्तान की सूचना मंत्री फिरदौस आशिक अवान ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘काफी लंबी चर्चा और वाणिज्य सचिव द्वारा दी गई जानकारी के बाद मंत्रिमंडल ने वाणिज्य मंत्रालय के भारत को सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा दिए जाने के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। भारत को एमएफएन के दर्जे का आशय यह है कि पाकिस्तान व्यापार में अब भारत को अन्य भागीदारों के अनुरुप मानेगा। इससे द्विपक्षीय व्यापारिक और आर्थिक रिश्ते मजबूत होंगे। भारत ने पाकिस्तान को 1996 में ही एमएफएन का दर्जा दे दिया था। 2010-11 में भारत-पाकिस्तान का व्यापार 2.6 अरब डालर रहा है।
पाकिस्तान ने भारत को एमएफएन का दर्जा दिए जाने की पहल मालदीव में 10-11 नवंबर को होने जा रहे दक्षेस शिखर सम्मेलन से पहले की है। दक्षेस शिखर बैठक के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों के बीच बैठक हो सकती है। अवान ने कहा कि सेना सहित सभी हितधारकों में भारत को एमएफएन का दर्जा दिए जाने पर सहमति थी। पाकिस्तान की सूचना मंत्री ने कहा कि इस फैसले से आर्थिक फायदा होगा और यह राष्ट्रीय हित में है।
प्रधानमंत्री यूसुफ रजा गिलानी की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में कई मंत्रियों ने कश्मीर मुद्दे पर चिंता जताई। हालांकि, उन्होंने कहा कि बैठक में राष्ट्रीय और क्षेत्रीय अखंडता के मुद्दे भी उठाए गए। कैबिनेट के इस फैसले से कश्मीर मसले पर कोई नुकसान नहीं होगा। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी की वरिष्ठ नेता अवान ने साफ कर दिया कि भारत को व्यापार में सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा दिए जाने का फैसला किसी भी तरह से कश्मीर मसले पर पाकिस्तान के समर्थन को प्रभावित नहीं करेगा और उससे नहीं जुड़ा है। उन्होंने कहा कि भारत के साथ व्यापार अलग मसला है। पाकिस्तान के लिए कश्मीर मुद्दा और कश्मीरियों के आंदोलन को समर्थन सर्वोच्च प्राथमिकता है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, November 3, 2011, 09:39