Last Updated: Monday, September 23, 2013, 00:16

पेशावर : पाकिस्तान के पेशावर में एक ऐतिहासिक गिरजाघर पर दो तालिबानी आत्मघाती बम हमलावरों के हमले में बच्चों एवं महिलाओं सहित 78 लोग मारे गए। इस हमले को पाकिस्तान के इतिहास में ईसाई समुदाय पर अब तक का सबसे विध्वंसक हमला माना जा रहा है।
पेशावर के आयुक्त साहिबजादा मुहम्मद अनीस ने बताया कि कोहाटी गेट इलाके में प्राचीन ‘आल सेंट्स चर्च’ पर हमले में करीब 130 लोग घायल भी हुए। लोग रविवार की प्रार्थना के बाद निकल रहे थे उसी दौरान पहले बम हमलावर ने विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। इसके महज 30 सेंकेंड बाद दूसरे आत्मघाती बम हमलावर ने भी विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया।
अधिकारियों ने बताया कि हमले में मारे गए 78 लोगों में 30 से अधिक महिलाएं और सात बच्चे शामिल हैं। मरने वालों में एक मुस्लिम औरत भी है जो गिरिजाघर की सुरक्षाकर्मी थी। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के धड़े जंदुल्ला ने हमले की जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि उसने अमेरिकी ड्रोन हमले का बदला लेने के लिए यह आतंकी कार्रवाई की है।
जंदुल्ला के प्रवक्ता अहमद मारवात ने ‘न्यूजवीक’ को बताया, ‘जब तक ड्रोन हमले नहीं रोके जाते तब तक हम गैर मुस्लिमों के खिलाफ हमले जारी रखेंगे।’ जंदुल्ला ने गिलगित-बाल्टिस्तान में 10 विदेशी पर्वतारोहियों की हत्या तथा सुक्कुर में इंटर सर्विसेज इंटेलीजेंस के परिसर में हमले की भी जिम्मेदारी ली थी।
अनीस ने बताया कि विस्फोट के समय गिरजाघर के भीतर 600-700 लोग मौजूद थे । खून से लथपथ लोग मदद की गुहार लगा रहे थे जबकि गिरजाघर परिसर में जहां तहां लाशें बिखरी पड़ी थीं।
पुलिस अधिकारियों ने कहा कि गिरिजाघर परिसर में दो आत्मघाती हमलावरों ने ये हमले किए । प्रत्येक आत्मघाती हमलावर ने करीब छह किलोग्राम विस्फोटक वाली जैकेट पहन रखी थी। बम निरोधक दस्ते के प्रमुख शफाकत महमूद ने कहा कि बम हमलावरों के सिर मिल गए हैं और उन्हें फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेजा गया। वे स्केच तैयार करने के लिए इस्तेमाल किए जाएंगे।
पाकिस्तान में ईसाई समुदाय पर यह सबसे बड़ा हमला है जिन्हें अभी तक अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों शिया या अहमदिया समुदायों की तरह अक्सर निशाना नहीं बनाया गया था। (एजेंसी)
First Published: Sunday, September 22, 2013, 14:06