Last Updated: Wednesday, October 17, 2012, 18:32

बीजिंग : चीन के दिवंगत कद्दावर नेता माओत्से तुंग ने ‘ग्रेट लीप फॉरवर्ड’ आंदोलन की असफलता के बाद सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी पर अपना फिर से नियंत्रण कायम करने के लिए भारत के साथ वर्ष 1962 का युद्ध छेड़ा था। चीन के एक शीर्ष रणनीतिकार वांग जिसी ने गत शनिवार को युद्ध की 50वीं सालगिरह के मौके पर यह खुलासा करके युद्ध का एक नया पहलू पेश किया है।
चीन की पीकिंग यूनीवर्सिटी के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के डीन एवं चीन के विदेश मंत्रालय की विदेश नीति सलाहकार समिति के सदस्य वांग जिसी ने यहां कहा, ‘युद्ध एक दुखद घटना थी। वह जरूरी नहीं था।’ उन्होंने कहा कि उनकी धारणा चीन के कई राजनीतिक एवं रणनीतिक विश्लेषकों से अलग है कि चीन की जीत ने भारत के सीमा पर दावे को समाप्त कर दिया और इससे दीर्घकालिक शांति स्थापित हुई।
भारतीय राजनयिकों के अनुसार चीनी नेतृत्व कई बार जिसी से सलाह मशविरा करता था। जिसी ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हमें कुछ अनुसंधान करना चाहिए। मैंने एक किस्सा सुना है कि यह माओत्से तुंग के चीन में अपनी स्थिति के भय के चलते था कि उन्होंने वर्ष 1962 युद्ध शुरू किया था।’ उन्होंने कहा, ‘वर्ष 1962 में ग्रेट लीप फॉरवर्ड (जीएलएफ) के बाद माओत्से ने सत्ता और प्राधिकार खो दिया। वह अब देश के प्रमुख नहीं थे और वह तथाकथित दूसरी पंक्ति में चले गए थे। हमें उस समय जो स्पष्टीकरण दिया गया वह यह था कि उनकी क्रांति और अन्य चीजों में अधिक रुचि है।’
ग्रेट लीप फॉरवर्ड (जीएलएफ) एक जनअभियान था जिसकी शुरुआत माओत्से तुंग ने देश को एक कृषि आधारित अर्थव्यस्था से आधुनिक कम्युनिस्ट समाज में तब्दील करने के लिए चीन की विशाल जनसंख्या का इस्तेमाल करने के लिए किया। यह आंदोलन चीन को बर्बाद करने वाला साबित हुआ क्योंकि लाखों लोग हिंसा की भेंट चढ़ गए। इससे माओत्से की देश की सत्ताधारी कम्युनिस्ट पार्टी आफ चाइना (सीपीसी) के सर्वोच्च नेता के तौर पर स्थिति कमजोर हुई।
वांग जिसी ने कहा, ‘स्वाभाविक रूप से उन्होंने (माओत्से) ने कई व्यावहारिक मुद्दों पर से नियंत्रण खो दिया। इसलिए वह यह साबित करना चाहते थे कि वह अभी भी सत्ता में हैं विशेष रूप से सेना का नियंत्रण उनके हाथों में है। इसलिए उन्होंने तिब्बत के कमांडर को बुलाया और झांग से पूछा कि क्या आप इस बात का भरोसा है कि आप भारत के साथ युद्ध जीत सकते हैं।’ झांग गुओहुआ तिब्बत रेजीमेंट के तत्कालीन पीएलए कमांडर थे।
वांग जिसी के अनुसार, ‘कमांडर ने कहा, ‘हां माओत्से, हम युद्ध आसानी से जीत सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘आगे बढ़ो और इसे अंजाम दो।’ इसका उद्देश्य यह प्रदर्शित करना था कि सेना पर उनका व्यक्तिगत नियंत्रण है। इसलिए इसका सीमा विवाद से बहुत कम ही लेना देना था। हो सकता है कि तिब्बत से हो लेकिन यह जरूरी नहीं।’ (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 17, 2012, 18:32