Last Updated: Friday, February 3, 2012, 10:31
इस्लामाबाद : न्यायपालिका से कोई टकराव मोल लिए बिना सत्तारुढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने प्रधानमंत्री युसूफ रजा गिलानी के खिलाफ अवमानना के आरोप लगाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के कदम को चुनौती देने का फैसला किया है।
एक मीडिया रिपोर्ट में बताया गया है कि गिलानी के वकील एतजाज अहसन द्वारा 13 फरवरी को अवमानना के आरोप लगाने के लिए प्रधानमंत्री को समन भेजे जाने के खिलाफ अगले कुछ दिनों में अपील दाखिल किए जाने की संभावना है। गिलानी के खिलाफ यह अवमानना आरोप राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के विरुद्ध रिश्वत मामलों को फिर से खोलने के शीर्ष अदालत के आदेश की अनुपालना में विफल रहने को लेकर हैं।
सरकार का इस संबंध में कोई भी कदम अगले महीने होने वाले संसदीय चुनाव पर निर्भर करता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि सीनेट के लिए होने वाले चुनाव पर किसी चीज का प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने अपने सूत्रों के हवाले से यह रिपोर्ट दी है। एक पीपीपी नेता ने अपना नाम गोपनीय रखने की शर्त पर कहा, ‘हमें समीक्षा का अधिकार है, जैसा कि प्रधानमंत्री के वकील ने कहा है। किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि 18वें संशोधन के बाद निष्पक्ष सुनवाई को किसी भी नागरिक के मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है।’ पीपीपी नेता ने हालांकि इस बारे में कुछ नहीं कहा कि क्या सरकार अदालत के पूर्व में दिए गए आदेश का पालन करते हुए स्विस प्रशासन को जरदारी के खिलाफ रिश्वत के मामलों की समीक्षा के लिए लिखेगी। लेकिन उन्होंने कहा कि यह कदम अंतिम विकल्प के रूप में ही उठाया जाएगा क्योंकि पार्टी आसानी से हार नहीं मानेगी।
पीपीपी नेताओं ने कहा कि पार्टी सीनेट चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है। पीपीपी के एक केन्द्रीय नेता ने कहा, ‘अभी अगले माह होने वाले सीनेट चुनाव शीर्ष प्राथमिकता पर हैं। हम पहले ऊपरी सदन में अपना बहुमत पक्का करना चाहते हैं। कानूनी विशेषज्ञों की टीम को भी उसी के अनुसार रणनीति बनाने को कहा गया है।’ सीनेट की 54 सीटों के लिए 2 मार्च को चुनाव हेाने हैं। शीर्ष अदालत में कल की कार्यवाही के बारे में पूछे जाने पर अधिकतर पीपीपी नेता चुप्पी साधे रहे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 3, 2012, 16:01