Last Updated: Thursday, March 22, 2012, 14:43
कोलंबो : श्रीलंका ने गुरुवार को कहा कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) में उसके खिलाफ प्रस्ताव लाए जाने के बावजूद भारत और अमेरिका के साथ उसके दोस्ताना संबंधों पर असर नहीं पड़ेगा। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक कार्यवाहक मीडिया मंत्री लक्ष्मण यापा अबेयवर्दना ने पत्रकारों को बताया कि भारत की आंतरिक राजनीतिक स्थिति ने नई दिल्ली को श्रीलंका के खिलाफ लाए गए अमेरिकी समर्थित प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के लिए बाध्य किया है।
अबेयवर्दना ने कहा कि प्रस्ताव पर भारत ने जो फैसला किया है उससे नई दिल्ली के साथ श्रीलंका के सम्बंध प्रभावित नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि भारत अपनी मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर विचार करते हुए श्रीलंका पर स्वतंत्र होकर फैसला कर सकता है। उन्होंने कहा कि भारत की सत्तारूढ़ पार्टी को हाल के विधानसभा चुनावों में कुछ बड़े राज्यों में हार का सामना करना पड़ा है और अमेरिका समिर्थत प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने के लिए तमिलनाडु की सभी राजनीतिक पार्टियों ने एकजुट होकर केंद्र सरकार पर दबाव बनाया था। अबेयवर्दना के मुताबिक, "हमारी भारत के प्रति कोई गलतफहमी अथवा दुर्भावना नहीं है। यदि हमारे यहां भी ऐसी ही आंतरिक समस्या होती तो हम भी ऐसा ही फैसला करते। अबेयवर्दना ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि भारत बाद में श्रीलंका को जरूरत पड़ने पर उसकी मदद करेगा।
उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 19वें सत्र में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिका समर्थित प्रस्ताव लाया गया। श्रीलंका में तमिल टाइगर विद्रोहियों के खिलाफ युद्ध के अंतिम चरण में कथित युद्ध अपराधों की जांच एवं घरेलू स्तर पर तैयार युद्ध रिपोर्ट की अनुशंसाओं को लागू करने के लिए कोलम्बो पर दबाव बनाने हेतु यह प्रस्ताव लाया गया।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 22, 2012, 20:13