प्रोत्साहन वापसी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित : प्रधानमंत्री

प्रोत्साहन वापसी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित : प्रधानमंत्री

प्रोत्साहन वापसी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं प्रभावित : प्रधानमंत्रीसेंट पीटर्सबर्ग : जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग पहुंचे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गुरुवार को कहा कि समृद्ध देशों द्वारा गैरपारंपरिक मौद्रिक नीति, खासकर वित्तीय प्रोत्साहन को वापस लिए जाने की धमकी के कारण विश्व की उभर रही अर्थव्यवस्थाओं को काफी आघात पहुंचा है। इसके साथ ही मनमोहन सिंह ने कहा कि प्रोत्साहन वापसी की प्रक्रिया धीमी और समन्वित तरीके से की जानी चाहिए। सिंह ने कहा है कि विकसित देशों को ऐसी नीति पर नहीं चलनी चाहिए, जिसका नकारात्मक असर विकासशील देशों पर पड़े और सभी देशों को संयुक्त रूप से रोजगार सृजन और निवेश में वृद्धि पर जोर देना चाहिए।

मनमोहन सिंह ने जी-20 शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में विकासित देशों से इस तरह की नीतियों पर रोक लगाने का अनुरोध किया जो समृद्ध देशों में मजदूरी प्रवाह को बाधित करती हों। मनमोहन सिंह ने कहा, `समृद्ध देशों में गैरपारंपरिक मौद्रिक विस्तार की नीतियों को कुछ सफलता अवश्य मिली है, लेकिन इसके कुछ नकारात्मक असर भी हैं। जब इस नीति में ढील दी जाती है तो उभरते बाजारों में पूंजी प्रवाह में तेजी आती है। इससे कुछ देशों को अपने चालू खाते घाटे से उबरने में मदद मिलती है।`

प्रधानमंत्री ने आगे कहा, `अब बाजार में विपरीत परिस्थिति की आशंका के कारण हम विकासोन्मुख बाजारों से बाहर की तरफ मुद्रा प्रवाह देख रहे हैं। चूंकि अब लगभग सभी विकासशील बाजार लोचशील विनिमय दर के आधार पर कार्य करती हैं, इसलिए उन बाजारों में अलग-अलग गति से मुद्रा का अवमूल्यन हो रहा है, जिसके कारण अनेक तरह की मूसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।`

भारतीय रुपये के मूल्य में वर्तमान गिरावट के संदर्भ में मनमोहन सिंह ने कहा कि विदेशी धन की आवक अचानक रुक जाने के कारण ऐसी परिस्थिति आई है। वर्तमान वित्त वर्ष की शुरुआत के बाद से अब तक रुपये के मूल्य में डॉलर के मुकाबले 20 फीसदी की गिरावट आ चुकी है। मनमोहन सिंह ने कहा, `भारत पिछले कुछ सप्ताह से मौद्रिक अवमूल्यन से प्रभावित है। इसका एक कारण इस वित्त वर्ष में हमारे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में चालू खाता घाटा (4.8 प्रतिशत) का अधिक होना रहा है। ऐसी स्थिति में जब विदेशी वित्त की आवक रुक जाती है तो स्थिति संकटपूर्ण हो जाती है।`

मनमोहन सिंह यहां गुरुवार और शुक्रवार को जी20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बुधवार को पहुंचे।
मनमोहन सिंह ने कहा है कि विकसित देशों को ऐसी नीति पर नहीं चलनी चाहिए, जिसका नकारात्मक असर विकासशील देशों पर पड़े और सभी देशों को संयुक्त रूप से रोजगार सृजन और निवेश में वृद्धि पर जोर देना चाहिए। सिंह ने कहा, `सेंट पीटर्सबर्ग में मैं विकसित देशों द्वारा पिछले कुछ वर्षो से अपनाई गई अपारंपरिक नीति को धीमे-धीमे वापस लिए जाने पर जोर दूंगा, ताकि विकासशील देशों का विकास अवरुद्ध न हो।`

उल्लेखनीय है कि 2008 के बाद से अमेरिकी फेडरल रिजर्व संकट से उबरने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन के रास्ते पर चल रहा है, जिसे अब वह चरणबद्ध तरीके से वापस लेना चाहता है। भारतीय रुख को स्वीकार करते हुए और जी20 शिखर सम्मेलन की औपचारिक शुरुआत से कुछ घंटे पहले ब्रिक्स देशों के नेताओं ने गुरुवार को समृद्ध देशों द्वारा अपनाई जा रही प्रोत्साहन की नीति की धीमी वापसी का आह्वान किया, क्योंकि इसके कारण विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था पहले ही प्रभावित हुई है और आगे भी इसके कारण प्रभावित हो सकती है।

ब्रिक्स देशों में शामिल हैं- ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका। ब्रिक्स देशों के नेताओं ने ब्रिक्स के नेतृत्व में नए विकास बैंक (एनडीबी) और आपात भंडार व्यवस्था (सीआरए) की स्थापना की दिशा में हुए विकास पर संतोष जताया। बैठक में शामिल ब्रिक्स नेताओं में थे- मनमोहन सिंह, ब्राजील की डिल्मा रूसेफ, रूस के ब्लादिमीर पुतिन, चीन के जी जिनपिंग और दक्षिण अफ्रीका के जैकब जुमा। (एजेंसी)

First Published: Thursday, September 5, 2013, 23:38

comments powered by Disqus