Last Updated: Thursday, December 8, 2011, 09:22
वॉशिंगटन : अलगाववादी सैयद गुलाम नबी फई और उसकी कश्मीरी अमेरिकन कौंसिल, आईएसआई के पूर्ण नियंत्रण में थे और इसे अमेरिकी सांसदों, अधिकारियों और विचारकों को कश्मीर पर अपने नजरिये में बदलाव लाने के लिए पाकिस्तान की जासूसी संस्था के विस्तार के तौर पर चलाया जा रहा था।
अदालती दस्तावेजों के अनुसार, अमेरिका में रह रहे इस कश्मीरी अलगाववादी ने आईएसआई के लिए जासूसी करने, अवैध तौर पर कश्मीर पर अमेरिकी नीति को प्रभावित करने के लिए कांग्रेस में लॉबिंग करने और आईएसआई से चोरी छिपे धन हासिल करने का दोष स्वीकार किया था।
जुर्म स्वीकारने के बदले सजा में माफी के समझौते के तहत अमेरिका के संघीय सरकारी अटार्नी और फई ने 26 पृष्ठ के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए हैं जिससे न केवल फई के काम काज करने के तौर तरीकों और आईएसआई से उसके संबंधों के बारे में विस्तार से पता चलता है बल्कि इस बात की भी जानकारी मिलती है कि उसे सांसदों के लिए सालाना बजट भी मिलता था जो 80,000 डॉलर से 1,000,000 डॉलर के बीच होता था।
इस हस्ताक्षरित बयान के अनुसार, फई को 1990 के बाद से कम से कम 35 लाख डालर (मौजूदा दर के अनुसार, 16 करोड़ रूपये) की रकम दी गयी ताकि वह अमेरिका में कश्मीर को लेकर पाकिस्तान के हितों के लिए काम करे। 81 पैराग्राफ वाले इस बयान में आईएसआई के उन अधिकारियों के नाम भी हैं जो फई के आका थे या पाकिस्तान में उसके वाकिफकार थे।
जिन अधिकारियों के साथ फई का साबका पड़ता था, उनमें 1990 के दशक में कश्मीरी मामलों को देखने और ब्रिगेडियर अब्दुल्ला (खान) नाम से पहचाने जाने वाला जावेद अजीज खान, कश्मीर के आतंकवादी संगठनों से जुड़ा और 2008 के अंत में आईएसआई के सुरक्षा निदेशालय का प्रमुख मेजर जनरल मुमताज अहमद बाजवा, लेफ्टिनेंट कर्नल तौकीर महमूद बट और सोहैल महमूद भी शामिल हैं।
फई ने अमेरिकी अदालत को बताया कि इस बयान में दी गई सभी जानकारियां सच हैं और इसके बाद उसने इस पर हस्ताक्षर भी किए।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 8, 2011, 14:57