Last Updated: Tuesday, June 11, 2013, 16:36
बीजिंग : देश में नदियों का रूख सूखे इलाकों की ओर मोड़ने के लिए चीन ने एक अहम पड़ाव पर पहुंचते हुए यांग्त्जे और पीली नदी की जलधारा को जोड़ने की पांच दशक पुरानी परियोजना के पहले चरण का उद्घाटन कर दिया।
आधिकारिक मीडिया की खबरों के अनुसार, चीन की दक्षिण-उत्तर मार्गपरिवर्तन परियोजना की प्रगति की वजह से यांग्त्जे नदी के निचले इलाकों से पानी पीली नदी के निचले इलाकों से होकर गुजर पा रहा है। यांग्त्जे चीन की सबसे लंबी और विश्व की तीसरी सबसे लंबी नदी है जबकि पीली नदी इस प्रांत की दूसरी सबसे लंबी नदी है।
सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने कल खबर दी कि वर्ष 2002 में शुरू हुए दक्षिण-उत्तर जल मार्गपरिवर्तन परियोजना के पूर्वी मार्ग के पहले चरण ने ऐतिहासिक सफलता हासिल की है। ऐसी संभावना है कि यह 2013 की तीसरी तिमाही तक पानी भेजना शुरू कर देगा।
दक्षिण से उत्तर की ओर पानी के मार्गपरिवर्तन परियोजना के प्रबंधक ब्यूरो के अनुसार, यांग्त्जे नदी से पूर्वी चीन के शान्दोंग प्रांत के दातुन जलाशय तक पानी पहुंचने में 72 घंटे लगने की संभावना है। यह जलाशय इस परियोजना के उत्तरी छोर पर स्थित है। दातुन जलाशय वुचेंग कस्बे में स्थित है। यह शांदोंग के दक्षिण में स्थित जियांग्सु के यांग्जोउ से 700 किलोमीटर से भी ज्यादा दूरी पर है।
पूर्वी मार्ग की परियोजना के पहले चरण के संचालन के बाद यांग्त्जे नदी से लगभग डेढ़ अरब घनमीटर पानी हर साल शांदोंग भेजा जाना है। इससे इस प्रांत में पानी की कमी के गंभीर संकट से निजात मिल सकेगी।
दक्षिण-उत्तर जल मार्गपरिवर्तन परियोजना को सबसे पहले चीनी नेता माओ जेदोंग ने वर्ष 1952 में अपनाया था। लगभग 50 साल तक चली बहस के बाद राज्य परिषद या चीन के मंत्रिमंडल ने इस महत्वाकांक्षी परियोजना को दिसंबर 2002 में सहमति दी थी।
लाखों लोगों को नए स्थानों पर बसाया गया था और पर्यावरणविदों ने पर्यावरण पर पड़ने वाले इसके बुरे प्रभावों पर अपनी चिंता जाहिर की थी। लगभग 81 अरब डॉलर की अनुमानित लागत वाली इस परियोजना ने भूमि प्रयोग, क्षेत्रीय वातावरण में संभावित बदलाव, पर्यावरण हानि, कृषि पर प्रभाव और बड़ी संख्या में लोगों के विस्थापित होने के कारण लोगों की परेशानी के मामले में वैश्विक चिंताएं बढ़ा दी हैं।
इस परियोजना में 44.8 अरब घनमीटर पानी के मार्ग में प्रतिवर्ष यांग्त्जे नदी से पूर्वी, मध्य और पश्चिमी मार्गों के जरिए परिवर्तन करने की योजना है। इसका उद्देश्य उत्तरी चीन को वर्ष 2050 तक पानी की कमी से राहत देना है। 1,467 किलोमीटर लंबे पूर्वी मार्ग का निर्माण दिसंबर 2002 में शुरू हुआ था। इसके द्वारा 2013 के अंत तक उत्तरी चीन को जल आपूर्ति शुरू करने की संभावना है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 11, 2013, 15:36