Last Updated: Wednesday, July 17, 2013, 14:41
ढाका : बांग्लादेश के एक विशेष न्यायाधिकरण ने देश में वर्ष 1971 में हुए मुक्ति संग्राम के दौरान मानवता के खिलाफ अपराधों को अंजाम देने के जुर्म में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी पार्टी के एक शीर्ष नेता को मौत की सजा सुनाई है।
जमात-ए-इस्लामी के 65 वर्षीय महासचिव अली अहसन मोहम्मद मुजाहिद को अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण संख्या दो ने मौत की सजा सुनाई। तब अदालत कक्ष में भीड़ थी। न्यायाधीशों के तीन सदस्यीय पैनल के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ओबैदुल हस्सा ने फैसले का अहम हिस्सा पढ़ते हुए कहा कि उन्हें तब तक फांसी पर लटकाया जाए जब तक उनकी मौत नहीं हो जाती।
उन्होंने कहा कि मुजाहिद के खिलाफ लगाए गए सात में से पांच आरोप संदेह से परे हैं और अदालत मुक्ति समर्थक कई कार्यकर्ताओं को मार डालने में उनके निजी तौर पर संलिप्त रहने के दो आरोपों पर उन्हें मौत की सजा सुनाती है। मुजाहिद, जमात की तत्कालीन छात्र शाखा के प्रबंधन से संचालित होने वाले कुख्यात अल बदर मिलीशिया बल में दूसरे नंबर की हैसियत रखते थे।
शुरू में जब उन्हें कटघरे में लाया गया तो उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। लेकिन सजा सुनाए जाने पर वह बेहद निराश नजर आए। अल बदर ने मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना की सहायक बल की भूमिका निभाते हुए प्रमुख बांग्ला कार्यकर्ताओं को मारा था। मुजाहिद को ज्यादतियों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था। इस फैसले से दो दिन पहले ही जमात ए इस्लामी के 91 वर्षीय प्रमुख गुलाम आजम को एक न्यायाधिकरण ने 90 साल की सजा सुनाई। यह सजा उन्हें स्वतंत्रता संग्राम के दौरान ज्यादतियों का प्रमुख षड्यंत्रकारी होने के आरोप में सुनाई गई। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 17, 2013, 14:41