Last Updated: Thursday, December 22, 2011, 07:30
मास्को : भारत ने शीर्ष रूसी अधिकारियों से हिंदू ग्रंथ भगवद् गीता पर प्रतिबंध लगाने की मांग को लेकर उठे विवाद को उचित ढंग से सुलझाने की अपील की है और कहा कि यह महज एक धार्मिंक ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय सोच को परिभाषित करने वाली पुस्तकों में से एक है।
क्रिश्चन ऑथरेडोक्स चर्च से जुड़े एक समूह के भगवद् गीता को ‘चरमपंथी’ बताने और इस पर प्रतिबंध लगाने की मांग के आलोक में रूस में भारत के राजदूत अजय मल्होत्रा ने कहा, ‘मामले को उचित ढंग से सुलझाने के लिए उच्च स्तर पर रूसी अधिकारियों से बात की गई है।’ साइबेरिया की तोम्स्क जिला अदालत में मामले की अंतिम सुनवाई 28 दिसंबर को होनी है।
अदालत तोम्स्क इलाके में मानवाधिकार मामलों के रूसी लोकपाल और मास्को, सेंट पीटरबर्ग के भारतविदों की राय जानने को तैयार हो गई। इन सबों ने मामले को खारिज करने की सलाह दी है । एक वक्तव्य में मल्होत्रा ने कहा, ‘भगवद् गीता संभवत: दुनिया का सबसे महत्वपूर्ण और प्रतिष्ठित ग्रंथ है। इसका पहली बार रूसी भाषा में 1788 में अनुवाद हुआ। यह महज एक धार्मिक ग्रंथ नहीं बल्कि भारतीय सोच को परिभाषित करने वाली पुस्तकों में से एक है।’
(एजेंसी)
First Published: Thursday, December 22, 2011, 13:00