Last Updated: Wednesday, October 24, 2012, 15:56

बीजिंग : चीन के सरकारी मीडिया ने आज कहा कि भारत और साम्यवादी देश के बीच वर्ष 1962 में हुए युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस युद्ध से मिले घावों को भुला कर उन्हें ‘अभिन्न रणनीतिक साझेदार’ बनना चाहिए तथा द्विपक्षीय सहयोग के लिए एक नयी शुरूआत करनी चाहिए।
ग्लोबल टाइम्स ने भारत चीन युद्ध के 50 साल पूरे होने पर प्रकाशित एक लेख में कहा है कि प्रख्यात भारतीय कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर चीन को ‘ब्रदर कंट्री’ कहते थे। (जवाहरलाल) नेहरू ने लोगों को ‘हिन्दी चीनी भाई भाई’ गाने को प्रेरित किया था। अखबार में कहा गया है ‘दुर्भाग्यवश, 1962 के युद्ध से दोनों देशों के दोस्ताना संबंध गहरे तक प्रभावित हुए और दशकों बाद भी उनमें पहले जैसी बात नहीं आई। दोनों देशों के मैत्री संबंधों के लिए बेहद सावधानी की जरूरत है। लेकिन एक बार संबंध खराब होने के बाद, उनकी बहाली के लिए बहुत समय और उर्जा लगती है।’
इस साल न सिर्फ भारत चीन युद्ध के 50 बरस पूरे हुए हैं बल्कि यह साल ‘चीन भारत मैत्री एवं सहयोग वर्ष’ के तौर पर भी मनाया जा रहा है। अखबार के अनुसार, चीन के राष्ट्रपति हू जिन्ताओ और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ‘चीन भारत मैत्री एवं सहयोग वषर्’ को ‘यह स्पष्ट संदेश देने वाला कदम’ करार दिया है कि ‘दोनों देश ऐतिहासिक टकराव की वजह से मिले गहरे घावों को छिपाना चाहेंगे।’ ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि इतिहास के स्याह पन्नों तथा चीन और भारत के बीच विकास में अंतर के बावजूद दोनों देशों के पास समृद्ध संस्कृति एवं राजनयिक कौशल है। नई उभरती अर्थव्यवस्था के तौर पर दोनों देश वैश्विक व्यवस्था, आर्थिक घटनाक्रम और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों पर मिलता जुलता रूख रखते हैं।
ग्लोबल टाइम्स में साफ साफ कहा गया है कि भारत और चीन को अभिन्न रणनीतिक साझेदार बनना चाहिए। लेख में विस्तार से यह भी बताया गया है कि बौद्ध धर्म के आगमन के साथ ही भारत किस तरह चीन पर सदियों से अपना प्रभाव डालता रहा और बौद्ध धर्म ने चीन के एकीकरण में कैसे योगदान दिया।
अखबार के अनुसार, चीन और भारत दोनों की स5यता का उदय हिमालय और किंघई तिब्बती पठार से हुआ। हजारों साल पहले हुए ऐतिहासिक परिवर्तन के दौरान उनमें कोई टकराव नहीं हुआ। लेख में कहा गया है कि बौद्ध भिक्षुओं के जरिये प्राचीन भारतीय संस्कृति चीन पहुंची। हान वंश (206 ईसा पूर्व से 220 ईस्वी तक) के बाद चीन पर विघटन का खतरा था। बौद्ध धर्म ने चीन को एकीकरण में गहन योगदान दिया। आज अगर भारतीय अपने सांस्कृतिक अतीत को जानना चाहते हैं तो उन्हें दस्तावेजों के लिए चीन आना पड़ता है।
अखबार ने कहा है कि चीन और भारत दोनों ही वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य में उभरती अर्थव्यवस्था हैं और उन्हें बाहरी दुनिया से चुनौतियां मिल रही है। दोनों देशों की आबादी विश्व जनसंख्या में 40 फीसदी हिस्सा रखती है। उनकी समृद्धि से निश्चित रूप से पूरी दुनिया को लाभ होगा। आगे ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि सीमा विवाद, ऐतिहासिक समस्याएं और व्यापार संबंधी टकराव तो चीन भारत संबंध के बहुत ही छोटे हिस्से हैं। अखबार ने लिखा है कि 1962 के युद्ध के 50 बरस पूरे हो चुके हैं और इस मौके को दोनों देशों के बीच सहयोग के लिए ‘शुरूआती बिंदु’ मानना चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, October 24, 2012, 15:56