Last Updated: Friday, July 5, 2013, 21:40

बीजिंग : लद्दाख में ‘पीपुल्स लिबरेशन आर्मी’ की घुसपैठ के मद्देनजर वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति एवं स्थायित्व कायम रखने के लिए भारत और चीन आज इस बात पर सहमत हुए कि पारस्परिक विश्वास बहाली के लिए ‘रणनीतिक संचार’ जरूरी है। साथ ही, दोनों देश संयुक्त सैन्य अभ्यास शुरू करने के लिए भी राजी हुए।
रक्षा मंत्री एके एंटनी और उनके चीनी समकक्ष जनरल चांग वानकुआन के बीच यहां हुई शिष्टमंडल स्तरीय वार्ता में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए कि वे सीमा पर शांति और स्थायित्व कायम रखने के लिए संयुक्त प्रयास करेंगे तथा सीमा सुरक्षा बलों के बीच विभिन्न स्तरों पर संचार एवं समन्वय मजबूत करने के लिए कदम उठाएंगे।
अप्रैल में देपसांग घाटी में चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर एंटनी ने कहा कि हम लंबे समय से यह चर्चा कर रहे हैं कि हम सभी चीज पर चर्चा करेंगे। नतीजा बहुत जरूरी है। चर्चा में हर चीज पर चर्चा होगी। लेकिन नतीजा बहुत सकरात्मक हो। एंटनी पिछले सात साल में चीन की यात्रा करने वाले भारत के प्रथम रक्षा मंत्री हैं।
यह पूछे जाने पर कि क्या उन्होंने पीएलए के मेजर जनरल की टिप्पणी को बैठक में उठाया, एंटनी ने कहा, ‘मेरी चर्चा आधिकारिक लोगों के साथ थी। संदेश बहुत स्पष्ट है।’ एंटनी ने बताया कि चीन ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने की अहमियत पर बहुत जोर दिया है। गौरतलब है कि चीनी जनरल ने कल भारत पर 90,000 वर्ग किलोमीटर भूक्षेत्र पर कब्जा कर रखने का आरोप लगाया था तथा भारत को आगाह किया था कि वह सीमा पर सेना की तैनाती बढ़ा कर चीन को नहीं उकसाए।
एंटनी ने कहा कि चीनी प्रधानमंत्री ने महसूस किया कि बदलते परिदृश्य में भारत और चीन एक बड़ी भूमिका निभा सकते हैं और ‘हमें दोनों देशों की भलाई के लिए, दोनों देशों के लोगों की समृद्धि के लिए, क्षेत्र की बेहतरी तथा शांति एवं स्थायित्व के लिए एक जुट होकर एक बड़ी भूमिका अवश्य निभानी चाहिए।’ उन्होंने (चीनी प्रधानमंत्री) मुझे बताया कि चीन के प्रधानमंत्री का पदभार संभालने के बाद उन्होंने बहुत सोच विचार कर भारत को अपनी पहली यात्रा के लिए चुना। एंटनी ने ली की मई में की गई यात्रा का हवाला देते हुए यह बात कही।
उन्होंने कहा, ‘इसने हर किसी को एक संकेत दिया कि चीन का नया नेतृत्व भारत के साथ बहुत सौहार्दपूर्ण और दोस्ताना संबंध चाहता है तथा वे अपने राष्ट्र एवं अन्य देशों की समृद्धि के लिए भारत के साथ संयुक्त रूप से काम करना चाहते हैं।’ इस बीच, भारतीय रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता ने यहां कहा कि दोनों रक्षा मंत्रियों के बीच बैठक में पारस्परिक विश्वास बढ़ाने के उपाय और सशस्त्र बलों के बीच विश्वास कायम करने पर चर्चा हुई।
उन्होंने कहा, ‘इस बात पर सहमति बनी की विश्वास बहाली और तालमेल के लिए रणनीतिक संचार की आवश्यकता है।’ बैठक में यह स्वीकार किया गया कि सीमा मुद्दा इतिहास की देन है जिसका हल करने के लिए दोनों पक्ष कोशिश कर रहे हैं और इस बात पर सहमति बनी है कि विशेष प्रतिनिधि तंत्र को एक समाधान खोजने की दिशा में काम जारी रखना चाहिए। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि दोनों देश इस बात पर भी राजी हुए कि दोनों देशों की नौसेना और वायुसेना प्रोफेशनल आदान प्रदान को बढ़ाएंगे। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 5, 2013, 21:40