भारत और जापान के बीच जल्द होगा परमाणु समझौता

भारत और जापान के बीच जल्द होगा परमाणु समझौता

भारत और जापान के बीच जल्द होगा परमाणु समझौताटोक्यो : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनके जापानी समकक्ष शिंजो एबे ने आज असैन्य परमाणु समझौते पर बातचीत की गति तेज करने और नौवहन सुरक्षा सहयोग को बढ़ाने का फैसला किया है। दोनों नेताओं की मुलाकात के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि सिंह और एबे ने भारत और जापान के बीच असैन्य परमाणु सहयोग के महत्व पर जोर दिया, हालांकि दोनों ने माना कि परमाणु सुरक्षा भी उनकी सरकारों की प्राथमिकता है।

साझा बयान में कहा गया, ‘‘इस संदर्भ में :परमाणु समझौते: दोनों ने अपने अधिकारियों को निर्देश दिया कि बातचीत की गति तेज की जाए ताकि जल्द निष्कर्ष तक पहुंचने की ओर बढ़ा जा सके।’’ यहां के कैबिनेट सचिवालय में काउंसिलर तोमोहिको तानीगुची से जब यह पूछा गया कि भारत का परमाणु अप्रसार संधि :एनपीटी: पर हस्ताक्षर करना और असैन्य परमाणु सहयोग समझौते के बीच ताल्लुक है तो उन्होंने कहा, ‘‘सबकुछ एनपीटी के साथ जुड़ा हुआ है।’’ जापान में मार्च, 2011 की फुकुशिमा परमाणु त्रासदी के बाद दोनों देशों के बीच असैन्य परमाणु समझौते से संबंधित बातचीत में ज्यादा प्रगति नहीं हो पाई।

जापान ने भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु करार और अंतरराष्ट्रीय प्रौद्योगिकी से जुड़े प्रतिबंधों से भारत को छूट दिए जाने का समर्थन किया था, हालांकि इस बीच तोक्यो को अपने यहां इस संदर्भ में राजनीतिक समर्थन हासिल करने में काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा है। भारत और जापान ने द्विपक्षीय रक्षा संबंधों के विस्तार का स्वागत किया और नौवहन मुद्दों पर आगे सहयोग को लेकर सहमति जताई ताकि नौवहन की स्वतंत्रता एवं निर्बाध व्यापार को सुनिश्चित किया जा सके।

दोनों नेताओं ने ‘जापानीज-यूएस2’ विमान को लेकर सहयोग के संदर्भ में संयुक्त कार्य समूह बनाने पर भी सहमति जताई । यह पहला मौका है जब जापान ने एक ऐसे विमान को लेकर प्रस्ताव दिया है जो पानी पर उतर सकता है और कई असैन्य एवं सैन्य कामों में इस्तेमाल हो सकता है। दोनों पक्षों ने नौसैन्य अभ्यासों को संस्थागत बनाया है और अब यह अ5यास नियमित तौर पर होगा।

मनमोहन सिंह ने कहा कि वैश्विक अनिश्चितताओं, बदलावों और चुनौतियों के समय शांतिपूर्ण, स्थिर और समृद्ध एशिया प्रशांत एवं हिंद महासागर क्षेत्र की दिशा में बढ़ने में भारत और जापान स्वाभाविक एवं अपरिहार्य साझीदार हैं। उनका यह बयान उस वक्त आया है जब चीन दक्षिणी चीन सागर और पूर्वी चीन सागर में अपनी ताकत दिखा रहा है और जापान के साथ उसका समुद्री क्षेत्र में ही विवाद चल रहा है।

विदेश सचिव रंजन मथाई ने संवाददाताओं से कहा कि दोनों नेताओं ने वैश्विक एवं रणनीतिक संबंधों को मजबूती देने तथा इसे नए स्तर पर ले जाने की उत्सुकता जताई है। मथाई ने कहा, ‘‘हम उस स्तर पर पहुंच गए हैं जहां भारत और जापान के बीच सहयोग की संभावना निर्णायक दौरे में है।’’ दोनों नेताओं ने भारत को अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण निकायों का पूर्ण सदस्य बनाने की जमीन तैयार करने के लिए काम जारी रखने की प्रतिबद्धता जताई।

इन अंतरराष्ट्रीय निकायों और व्यवस्थाओं में एनएसजी, ‘मिसाइल प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था’, ‘आस्ट्रेलिया समूह’ और ‘वासेनार समूह’ शामिल हैं। असैन्य परमाणु समझौते को लेकर ठोस प्रगति होने की संभावनाओं को उस वक्त झटका लगा जब जापानी प्रधानमंत्री एबे ने समग्र परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) को जल्द अमल में लाने के महत्व पर जोर दिया। कभी परमाणु हमले की मार झेल चुका जापान चाहता है कि भारत एनपीटी और सीटीबीटी पर हस्ताक्षर करे, जबकि भारत इन व्यवस्थाओं को भेदभावपूर्ण मानता है। अपनी ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने परमाणु परीक्षण पर भारत की एकतरफा और स्वैच्छिक रोक के प्रति देश की प्रतिबद्धता व्यक्त की।

भारत और जापान ने 424 अरब डॉलर तक कर्ज को येन (जापानी मुद्रा) में दिए जाने से संबंधित ‘एक्सचेंज नोट्स’ पर हस्ताक्षर किए। इसमें मुंबई मेट्रो लाइन-3 परियोजना के लिए 72 अरब डॉलर और वित्तीय वर्ष 2012 में आठ परियोजनाओं के लिए 353.106 अरब डालर का कर्ज भी शमिल है।

सिंह और एबे के बीच हुई बातचीत में दोनों देशों ने रणनीतिक और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया। उन्होंने कहा, ‘‘बीते दो दिनों से मैंने व्यापक चर्चा की है जो पूरी तरह से हमारी वैश्विक और रणनीतिक साझेदारी पर केंद्रित रही।’’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमने राजनीतिक संवाद और रणनीतिक विचार-विमर्श को गहन करने तथा नौसैन्य अ5यासों एवं रक्षा तकनीक में सहयोग सहित रक्षा संबंधों, उच्च तकनीक, अंतरिक्ष, उर्जा सुरक्षा एवं भू खनिजों को लेकर सहयोग को धीरे-धीरे मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया है।’’ सिंह ने कहा, ‘‘हम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा में सुधार, स्पष्ट, नियम आधारित एवं संतुलित क्षेत्रीय ढांचे तथा गहन क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और संपर्क की मांग करेंगे।’’
एबे ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच जापानी सम्राट अकिहितो और उनकी पत्नी मिचिको के इस साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले भारत दौरे को लेकर चर्चा हुई। जापानी प्रधानमंत्री ने कहा कि तोक्यो तेज गति वाले रेल नेटवर्क को स्थापित करने में भारत की मदद करेगा। जापान दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कोरिडोर परियोजना के निर्माण में मदद जारी रखेगा।

उन्होंने समुद्री लूट विरोधी गतिविधियों सहित समुद्री सुरक्षा के मुद्दों पर द्विपक्षीय और बहुपक्षीय सहयोग का संकल्प लिया। उधर, वार्ता स्थल के बाहर परमाणु विरोधी प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की। बाद में एबे ने सिंह के सम्मान में भोज का आयोजन किया। सिंह ने कहा कि समग्र आर्थिक साझीधारी समझौते पर पहले हस्ताक्षर किया गया था जिससे आर्थिक संबंधों के विकास की नयी संभावनाएं पैदा हुईं।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘हमारे बीच बढ़ रहे सुरक्षा सहयोग से दोनों देशों के बीच की साझीदारी में नया आयाम जुड़ रहा है।’’ सिंह का स्वागत करते हुए एबे ने कहा, ‘‘आप वरिष्ठ नेता और कभी-कभी संरक्षक की तरह हैं। मैं आपको अपना प्यारा दोस्त बुला सकता हूं।’’ जापानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मेरा मानना है कि मैं खुद से जितना नहीं सीख पाया, उससे ज्यादा आपसे सीखा। आपने जो कदम उठाए हैं, उसकी परख, रोजाना की सुखिर्यां नहीं, इतिहास करेगा। मेरा मानना है कि आपने जो शांति के साथ काम किया है, मुझे भी वही करना चाहिए।’’ भारत ने उन खबरों को खारिज कर दिया कि वह जापान के साथ रिश्तों में मंद पड़ा है क्योंकि चीन को नाराज नहीं करना चाहता।

जापान ने कहा कि बीजिंग के साथ नयी दिल्ली के सहयोग करने में उसे कोई आपत्ति नहीं है। दक्षिणी चीन सागर के मुद्दे पर जापान ने कहा कि यथास्थिति को बदलने के लिए चीन ने व्यापक प्रयास किए हैं और यह तोक्यो के लिए चिंता का विषय है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, May 29, 2013, 22:03

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