भारत का हवाई युद्ध कौशल कमजोर : अमेरिका

भारत का हवाई युद्ध कौशल कमजोर : अमेरिका

वाशिंगटन : अमेरिका के एक प्रमुख थिंक टैंक ने कहा है कि करगिल युद्ध भारत की हवाई युद्धकौशल क्षमता का ‘कमजोर परीक्षण’ था और चेतावनी दी कि पाकिस्तान और चीन के साथ भविष्य में युद्ध का खतरा बना हुआ है। इस लिहाज से भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों को उसी के अनुरूप तैयार रहना होगा।

कार्नेजी इंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस ने अपनी 70 पन्ने की रिपोर्ट ‘एयर पॉवर एट 18000 : द इंडियन एयरफोर्स इन द करगिल वार’ में कहा, ‘भारत के लिए करगिल युद्ध के सुखद अंत के बावजूद भारतीय वायु सेना के लड़ाकू पायलटों ने इस अभियान की अनगिनत चुनौतियों के कारण अपने संचालन को सीमित कर दिया।’ उसने कहा, ‘इस तरह उन्हें उतने तक ही सिर्फ सीमित रहना पड़ा जितना कि वह कर सकते थे। अगर उन्हें और बेहतर करने का मौका मिला होता तो उनका प्रदर्शन बेहतर होता।’ इस 70 पन्ने की रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि करगिल युद्ध से पारदर्शिता और भारतीय सेना तथा भारतीय वायु सेना के शीर्ष अधिकारियों के बीच संवाद की अत्यधिक कमी निकलकर सामने आई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जम्मू कश्मीर में गोपनीय तरीके से पाकिस्तानी घुसपैठ ने भारत के देशव्यापी समयोचित खुफिया सूचनाओं की कमी को उजागर कर दिया। कार्नेजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रणनीतिक स्तर पर करगिल युद्ध ने स्पष्ट रूप से यह साबित किया कि इस तरह के क्षेत्रीय संघर्ष में एक स्थिर द्विपक्षीय परमाणु प्रतिरोधक संबंध तीव्रता और परिमाण के स्तर को रोकता है। उसने कहा कि परमाणु स्थिरता कारक के नहीं होने पर यह संघर्ष एक पूर्ण परंपरागत युद्ध में बदल सकते थे। लेकिन करगिल युद्ध ने यह भी दर्शाया कि परमाणु हथियार हर मर्ज की दवा नहीं हैं।

रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत का पाकिस्तान और चीन से लगती सीमा पर परंपरागत युद्ध हो सकता है जिसका परिणाम बहुत भीषण होगा और भारतीय रक्षा प्रतिष्ठानों को इसी के अनुरूप योजना और तैयारी करनी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व ने यह गलत अनुमान लगाया था कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय तुरंत कश्मीर में संघर्ष विराम पर जोर देगा ताकि दोनों देश के बीच परमाणु युद्ध नहीं भड़के। इसका नतीजा यह होता कि पाकिस्तान का नियंत्रण रेखा के उस भारतीय हिस्से पर कब्जा हो जाता जिसे उसने आसानी के साथ हासिल किया था।

कार्नेजी ने कहा कि दोनों देशों के बीच परमाणु संतुलन भारत के दृढ परंपरागत जवाब में बाधा नहीं बना और भारत को सफलता मिली। उसने कहा, ‘इसके अलावा चूंकि वाजपेयी की सरकार ने ईमानदारी के साथ इस युद्धक अभियान को भारत नियंत्रित कश्मीर तक सीमित रखा था, इसलिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के पास हस्तक्षेप के लिए कोई ठोस कारण नहीं था।’ (एजेंसी)

First Published: Friday, September 21, 2012, 17:12

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