Last Updated: Sunday, August 4, 2013, 14:20

वाशिंगटन : भारतीय सेना के सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों से प्रभावित अमेरिकी सेना प्रमुख ने दोनों देशों की सेना के बीच साझा प्रशिक्षण का प्रस्ताव दिया है।
दोनों देशों की सेना के बीच सीखने की बहुत कुछ संभावनाओं का उल्लेख करते हुए अमेरिका के सेना प्रमुख जनरल रे ओडिएर्नो ने साझा प्रशिक्षण का आह्वान किया है ताकि जटिल परिस्थितियों में आतंकवाद विरोधी अभियान के भारत के अनुभव से लाभ हासिल किया जा सके।
ओडिएर्नो ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘हम पर्वतीय परिस्थिति में साझा प्रशिक्षण करना पसंद करेंगे क्योंकि बीते कई वर्षों में भारतीय सेना ने जो सीखा है और आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में हमने जो सीखा है, हम उसे साझा करना पसंद करेंगे। हम अनुभवों को साझा करना और यह देखना चाहेंगे कि हम एक दूसरे से कैसे सीख सकते हैं तथा भविष्य में प्रत्यक्ष तौर पर इसका कैसे इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसे में मेरे के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है।’
ओडिएर्नो (58) ने पिछले महीने के अपने भारत दौरे के समय रक्षा मंत्री एके एंटनी से मुलाकात के अलावा अपने भारतीय समकक्ष जनरल विक्रम सिंह से भेंट की थी और उधमपुर स्थित उत्तरी कमान के मुख्यालय का दौरा किया था।
भारतीय सेना के सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों से प्रभावित ओडिएर्नो ने कहा कि अमेरिका भारतीय अनुभव से यह सीखना चाहेगा कि जटिल परिस्थिति और मुश्किल भरे इलाके में कैसे आतंकवादियों से लड़ा जाता है। यह पूछे जाने पर कि वह अफगानिस्तान की तरह कठिन इलाकों वाले जम्मू-कश्मीर में साझा अभ्यास करना चाहेंगे तो उन्होंने कहा कि वह इस पर गौर करना पसंद करेंगे।
अमेरिकी सेना प्रमुख ने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम इस पर विचार करना चाहेंगे। हम यह सीखना चाहेंगे कि इन परिस्थितियों में आप कैसे प्रशिक्षण लेते हैं और अपना अभियान चलाते हैं। ये सब अभी शुरुआती चर्चा के स्तर पर है, अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है। यह ऐसी चीज है जिस पर हम दिलचस्पी लेना चाहेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘हर कोई इस बात को मानता है कि भारत और अमेरिका में बहुत कुछ चीजें समान हैं तथा हमारे दीर्घकालीन संबंध को कायम रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है।’ ओडिएर्नो ने कहा, ‘हमारे के लिए ऐसे दीर्घकालीन संबंध को बरकरार रखना महत्वपूर्ण है जो समान है, जो एक दूसरे की रणनीतिक स्वायत्ता का सम्मान करता है। परंतु यह हमें एक दूसरे से सीखकर साथ विकसित होने तथा कई मुद्दों से निपटने में मददगार होना चाहिए।’
ओडिएर्नो ने कहा, ‘मैंने जब विदेश मंत्री के साथ यात्रा की थी तो वह वहां इस बात पर जोर देने के लिए पहुंची थीं कि दुनिया के दो बड़े लोकतंत्र के बीच संबंध कितना महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने राष्ट्रपति बराक ओबामा की ओर से भारत-अमेरिका संबंध को एक महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदारी करार दिए जाने का उल्लेख करते हुए कहा कि ज्यादातर रणनीतिक संबंधों की बुनियाद मजबूत सैन्य संबंध है।
अमेरिकी जनरल ने कहा कि बीते 10 वर्षों के दौरान दोनों देश की सेना जटिल परिस्थितियों में अभियान चलाने तथा आतंकवाद विरोधी अभियानों को अंजाम देने जैसा समान काम कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘ऐसे में हमारे बीच बहुत कुछ समान है और एक दूसरे से सीखने के लिए है। मेरा मानना है कि हम आगे की ओर देखने के साथ साझा संबंध का निर्माण करना चाहते हैं।’ ओडिएर्नो ने कहा कि अमेरिकी सेना इस बिंदु पर भी भारतीयों से सीख सकती है कि वे इतनी लंबी सीमा की सुरक्षा कैसे करते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मेरा मानना है कि हम जैसे आगे की ओर देखते हैं तो यह लगता है कि भारत और आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के दूसरे साझेदार देशों के साथ मिलकर काम करना महत्वपूर्ण रहेगा।’ यह पूछे जाने पर कि साल 2014 के बाद आतंकवाद के खिलाफ अमेरिका और भारत मिलकर लड़ेंगे तो ओडिएर्नो ने कहा कि यह एक राजनीतिक निर्णय है।
अमेरिकी सेना प्रमुख ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यह एक राजनीतिक निर्णय है। मैं सोचता हूं कि यह फैसला तब लिया जाएगा जब लगेगा कि यह हमारे देश के हित में है। परंतु मेरा यह भी मानना है कि हम आतंकवाद के संदर्भ में जानकारी साझा करने के साथ एक दूसरे से सीख सकते हैं। यह भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए महत्वपूर्ण है।’
हाल ही में भारतीय सीमा में चीन के सैनिकों की घुसपैठ के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में ओडिएर्नो ने कहा कि उन्हें यह संकेत दिया गया था कि यह सामान्य मामला है तथा चीजें नियंत्रण में है। उन्होंने कहा, ‘मुझे भातरीय नेतृत्व से जो संकेत मिला, उससे लगा कि यह यह सामान्य बात है जो विभिन्न देशों के बीच अक्सर हुआ करती हैं। अच्छी बातचीत हुई। आप जानते हैं कि बहुत संयम दिखाया गया और बहुत चर्चा की गई। मेरा मानना है कि चर्चाओं से मुझे ऐसा ही लगा।’
ओडिएर्नो ने कहा कि अमेरिका भारतीय सेना के महत्वाकांक्षी आधुनिकीकरण कार्यक्रम को देखते हुए मदद मुहैया कराने का इच्छुक है। उन्होंने कहा कि जब वह भारत से रवाना हुए तो भारतीय सेना के सच्चे पेशेवर रवैये से खासे प्रभावित हुए।
अमेरिकी जनरल ने कहा, ‘जो उन परिस्थितियों को समझते हैं जिनमें भारतीय सैनिक काम कर रहे हैं तो यह लगेगा कि यह एक बहुत अनुशासित बल है और इसका नेतृत्व काफी पेशेवर है। मैं भारतीय सेना के पेशेवर नेतृत्व को लेकर पूरे दौरे पर प्रभावित रहा।’
उन्होंने कहा, ‘मैंने जनरल (विक्रम) सिंह से वादा किया कि मैं उन्हें अनुमति के अनुसार हर संभव मदद मुहैया कराने को लेकर पूरा पारदर्शी रहूंगा। हम कड़ी मेहनत की कोशिश करेंगे ताकि वे बेहतरीन तकनीक हासिल कर सके। हमारा मानना है कि यह दोनों के हित में है।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 4, 2013, 14:04