Last Updated: Wednesday, December 5, 2012, 00:15

बीजिंग : भारत और चीन के बीच सीमा विवाद मुद्दे पर वार्ता में अच्छी प्रगति की प्रशंसा करते हुए चीन के एक शीर्ष नेता ने आज कहा कि दोनों देशों को अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने के लिए सामरिक और विस्तृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
राष्ट्रपति हू जिन्ताओ के बाद दूसरे नंबर के नेता वू बांगो ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से कहा, मैं समझता हूं कि सीमा वार्ता बहुत कठिन है। प्रगति के लिए मैं तहे दिल से बधाई देता हूं। सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) के वर्तमान अध्यक्ष वू ने भारत-चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर वर्ष 2003 में गठित विशेष प्रतिनिधियों के बीच कार्य प्रणाली के बारे में बहुत अच्छी बातें कहीं।
मेनन के समकक्ष दाई बिंगो भी बैठक में मौजूद थे। बिंगो मार्च में सीमा वार्ता के विशेष प्रतिनिधि के पद से अवकाश ग्रहण कर रहे हैं । वू ने कहा कि दोनों देशों को सामरिक और विस्तृत दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, समान स्तर पर बातचीत करनी चाहिए, एक-दूसरे को समझना चाहिए और सम्मान करना चाहिए और वर्तमान प्रणाली का उपयोग कर प्रगति करनी चाहिए।वू ने कहा कि दोनों देशों के पास सीमा विवाद को सुलझाने की क्षमता और बुद्धिमत्ता है।
शिन्हुआ की रिपोर्ट के अनुसार मेनन ने कहा कि भारत कई स्तरों पर चीन के साथ वार्ता को आगे बढ़ाना चाहता है और मित्रवत तरीके से सीमा विवाद मुद्दे को सुलझाना चाहता है। उन्होंने कहा कि भारत चीन के साथ अपने संबंधों पर सीमा मुद्दे का प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ने देगा। भारत को द्विपक्षीय संबंधों की संभावनाओं को लेकर पूर्ण विश्वास है।
भारत का कहना है कि अरूणाचल प्रदेश के साथ जुड़ी चीन की सीमा पर करीब 4,000 किलोमीटर क्षेत्र को लेकर विवाद है जबकि चीन इस क्षेत्र को महज 2,000 किलोमीटर बताता है। दोनों पक्षों ने इस विवाद को सुलझाने के लिए सीमा वार्ता 1980 के दशक में आरंभ किया था। अपने सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और स्थाईत्व बनाए रखने के लिए दोनों देशों ने वर्ष 1993 और 1996 में दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, December 5, 2012, 00:15