Last Updated: Wednesday, March 27, 2013, 16:30
वाशिंगटन : भारत और पाकिस्तान यदि सिंधु नदी के महत्वपूर्ण जल को एक साथ मिलकर संरक्षित करते हैं और उसका शांतिपूर्ण बंटवारा करते हैं तो दोनों देशों को इसका लाभ होगा। यह बात एक नई रपट में सामने आई है।
अमेरिकी थिंकटैंक स्टिम्सन सेंटर, ऑजर्वर रिसर्च सेंटर की भारतीय शाखा और पाकिस्तान के सतत विकास नीति संस्थान के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन को इस समूह के जल विशेषज्ञों ने पेश की है। विशेषज्ञों के इस समूह ने इंडस बेसिन वर्किं ग ग्रुप बनाया है।
स्टिम्पसन के पर्यावरण सुरक्षा कार्यक्रम के निदेशक और इस रपट में स्टिम्पसन के अनुसंधानकर्ताओं का नेतृत्व करने वाले डेविड माइकल ने कहा है, "भारत-पाकिस्तान सहयोग के जरिए सिंधु घाटी के जल संसाधानों का जितना बेहतर प्रबंधन कर सकते हैं, उतना लड़ाई-झगड़ा के जरिए नहीं।"
इस अध्ययन का शीर्षक है- `कनेक्टिंग द ड्रॉप्स : एन इंडस बेसिन रोडमैप फॉर क्रॉस-बॉर्डर वाटर रिसर्च, डेटा शेयरिंग, एंड पॉलिसी को-आर्डिनेशन`। इस रपट में भारत, पाकिस्तान के बीच सहयोग के लिए कई सिफारिशें की गई है, और सामाजिक-आर्थिक, पर्यावरणीय, और राजनीतिक दबावों से उबरने के लिए कहा गया है।
रपट में कहा गया है कि कुछ ही वर्षो में जलाभाव इस उपमहाद्वीप की समस्या बन सकती है, क्योंकि बढ़ रही आबादी और विकास सिंधु बेसिन पर दबाव बढ़ा रहे हैं। सिंधु नदी दुनिया की एक सबसे महत्वपूर्ण जल प्रणाली है। यह लगभग 30 करोड़ लोगों की जरूरतें पूरी करती है और उपमहाद्वीप के क्षेत्र की प्यास बुझाती है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, March 27, 2013, 16:30