Last Updated: Wednesday, May 15, 2013, 17:03
वाशिंगटन : अमेरिकी और भारतीय सैनिक नार्थ कैरोलाइना में अपने वार्षिक ‘‘युद्धाभ्यास’’ के तहत इस समय सैन्य अभ्यास में जुटे हैं और इसे हिंदी नाम ही दिया गया है जिसका मतलब है ‘‘युद्ध के लिए प्रशिक्षण।’’ इस युद्धाभ्यास के तहत किसी तीसरे देश में निर्दोष नागरिकों को बचाने के लिए सफल शांति अभियान को संयुक्त रूप से भारतीय और अमेरिकी सैनिकों द्वारा अंजाम देने के लिए किया जा रहा है।
82वीं एयरबोर्न डिवीजन की फर्स्ट ब्रिगेड काम्बेट टीम की 73वीं कैवेलरी रेजीमेंट के तीसरी स्क्वाड्रन के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल फिल सोउनिया ने बताया, ‘‘ यह यहां होने वाला सबसे बड़ा आयोजन है ।’’ पांचवीं गोरखा राइफल्स के करीब 200 भारतीय सशस्त्र बल इस सैन्य अभ्यास में भाग लेने के लिए यहां हैं जबकि मेजबान देश से 400 से अधिक सैनिक इसमें भागीदारी कर रहे हैं।
सोउनिया ने कहा, ‘‘ यह रिश्ते बनाने के लिए है ताकि जब जरूरत हो तो इस प्रकार की किसी ड्यूटी को अंजाम देने के लिए दोनों देश तैयार रहें।’’ उन्होंने साथ ही बताया, ‘‘ हम वो भरोसा कायम करना चाहते हैं जो इस प्रकार के अभियानों के लिए जरूरी होता है।’’ अपने अपने अनुभवों को साझा करते हुए दोनों सेनाएं संयुक्त राष्ट्र के शांतिरक्षक मिशन के लिए एक काल्पनिक इलाके में संयुक्त राष्ट्र के आभासी अभियान के लिए संयुक्त योजना बना कर काम कर रही हैं।
भारतीय सेना को इस मामले में जम्मू कश्मीर में आतंकवाद से निपटने तथा विभिन्न संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में काम करने का अनुभव है तो वहीं अमेरिकी सैनिक युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और इराक में काम करने का ठोस अनुभव रखते हैं। इस संयुक्त अभ्यास के दौरान, भारतीय पैराट्रूपर 50 इंडिपेंडेंट पैरा ब्रिगेड और गोरखाओं के साथ दुश्मन के क्षेत्र में उतरेंगे । उनके साथ अमेरिकी सैनिक भी होंगे। गोरखा हेलिकाप्टर के जरिए क्षेत्र में पहुंचेंगे।
कहानी का प्लाट भले ही काल्पनिक हो लेकिन इसमें गोला बारूद, मोर्टारों तथा अन्य भारी हथियारों का इस्तेमाल किया जाएगा। तीन मई को शुरू हुआ संयुक्त अभ्यास 17 मई को संपन्न होगा। संयुक्त अभ्यास का परिदृश्य समझाते हुए सोउनिया ने बताया, ‘‘ हम जो कर रहे हैं , वह यह है कि एक देश है जिसे संयुक्त राष्ट्र समर्थन दे रहा है। वहां हमें आतंकवादी तत्वों के पहुंचने से पूर्व एक निर्धारित समय सीमा के भीतर स्थानीय लोगों को सामान की आपूर्ति करनी है।’’ इसमें आवश्यक सामान की आपूर्ति समेत स्थानीय स्तर पर राजनीतिक प्रशासन की प्रक्रिया की स्थापना में मदद करना भी शामिल है।
उन्होंने कहा, ‘‘ उनके (भारतीय) साथ काम करना सम्मान की बात है। वे दुनिया में श्रेष्ठ हैं जिन पर किसी भी देश को गर्व हो सकता है।’’ ‘‘ठोस अनुशासन’’ के लिए भारतीय सेना की तारीफ करते हुए उन्होंने यहां गोरखा बटालियन और भारतीय अधिकारियों की सराहना की। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, May 15, 2013, 17:03