Last Updated: Wednesday, September 12, 2012, 21:36
वाशिंगटन/नई दिल्ली : मई 2011 में पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद से सटे ऐबटाबाद में ओसामा को मारने के लिए दो अमेरिकी एमएच-47 चिनूक हेलीकॉप्टर के मार्ग पर विवाद खड़ा हो गया है और यह सवाल उठाए जाने लगे हैं कि दोनों भारतीय वायुक्षेत्र पर उड़े थे या नहीं। इस अभियान पर हाल ही में एक पुस्तक प्रकाशित हुई है जिसमें दोनों हेलीकॉप्टर अफगानिस्तान के जलालाबाद से ऐबटाबाद जाने के लिए जिस मार्ग से गए थे उसका मानचित्र दिया गया है।
मानचित्र के अनुसार हेलीकॉप्टर दक्षिण पूर्व दिशा से ऐबटाबाद पहुंचा था और उससे पहले उसने भारत से सटे पाकिस्तान की पूर्वी सीमा को पार किया था। ‘नो इजी डे : द ऑटोबायोग्राफी ऑफ नेवी सील’ नामक यह पुस्तक अमेरिकी नौसेना की विशेष इकाई सील्स के एक जवान मैट बिस्सोनेट ने छद्म नाम ‘मार्क ओवेन’ से लिखी है। बिस्सोनेट ने इस अभियान में हिस्सा लिया था।
अमेरिकी वेबसाइट ‘रेडस्टेट’ ने यह सवाल उठाया है कि क्या ये हेलीकॉप्टर भारतीय वायुक्षेत्र में दाखिल हुए थे या नहीं। इसके बाद साइबर दुनिया में बहस छिड़ गयी है।
रेडस्टेट के ब्लॉग में कहा गया है कि भारतीय वायुक्षेत्र के इस अस्पष्ट इस्तेमाल से कई सवाल उठते हैं जिनमें एक यह है कि क्या भारत सरकार को ऐबटाबाद मिशन की जानकारी थी और क्या अमेरिका ने भारतीय वायुक्षेत्र का इस्तेमाल करने की अनुमति मांगी थी और क्या भारत ने इसकी अनुमति दी थी। हालांकि नई दिल्ली में भारतीय वायुसेना ने इस परिकल्पना को आज खारिज कर दिया और कहा कि अमेरिकी हेलीकॉप्टर बिल्कुल भी भारतीय वायुक्षेत्र में नहीं आए थे।
‘रा’ से जुड़े रहे विख्यात सुरक्षा विशेषज्ञ बी रमन ने संदेह जताया कि क्या हेलीकॉप्टर भारत होकर पाकिस्तान गए थे। उन्होंने लिखा है कि वायु और मिसाइल कार्रवाई की योजना तैयार करने के दौरान अमेरिका को यह चिंता अवश्य रही होगी कि यदि पाकिस्तानियों को इस कार्रवाई का पता लग गया तो वे इसकी गलत व्याख्या करेंगे और कहेंगे कि यह कार्रवाई भारत से शुरू हुई और दोनों परमाणु संपन्न देशों के बीच युद्ध छिड़ सकता था। इस पुस्तक में 2 मई 2011 को ओसामा के मारे जाने का पूरा विशद वर्णन है। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 12, 2012, 21:36