Last Updated: Wednesday, January 25, 2012, 13:06
ज़ी न्यूज ब्यूरो ओस्लो : नॉर्वे की सरकार भारतीय बच्चे को सौंपने को तैयार हो गई है। नॉर्वे में कोर्ट के बाहर भारतीय बच्चे को लौटाने का समझौता हो गया है।
भावनात्मक अलगाव के आधार पर प्रवासी भारतीय दंपति से अलग किए गए दो बच्चों को उनके चाचा को सौंपा जाएगा । भारत और नार्वे के बीच बुधवार को एक समझौते को अंतिम रूप दिए जाने के बाद यह फैसला किया गया । नार्वे चाईल्डकेयर सर्विसेज ने बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया था।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि नार्वे में दूतावास के माध्यम से भारत सरकार, नार्वे नगर निगम, नार्वेजियन चाईल्ड सर्विसेज, अभिभावक (अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य) और उनके वकील के बीच हुए समझौते में अनुरूप के भाई को दोनों बच्चों की देखभाल के लिये नामित किया गया।
सूत्रों ने कहा कि समझौते में कहा गया चाचा अरूणाभाश अभिभावकों की इच्छा पर सहमत हो गए हैं और जिम्मेदारी से भी अवगत हैं। वह बच्चों की देखभाल करेंगे। नार्वे सरकार ने भारतीय दंपति के बच्चों को लौटाने के लिए विदेश मंत्री एसएम कृष्णा के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। समझौते में यह तय हुआ है कि बच्चों के माता-पिता के प्रतिनिधि को बच्चे सौंपे जाएंगे। गौर हो कि कृष्णा ने इस मसले पर नार्वे के अपने समकक्ष मंत्री से बात की थी और इस मसले का तुरंत निदान निकालने का आग्रह किया था।
जानकारी के अनुसार, नार्वे में अपने मां-बाप से दूर रह रहे बच्चों की कस्टडी उनके अंकल को दी जाएगी। इसको लेकर नार्वे सरकार, भारत सरकार और बच्चों के माता−पिता के बीच समझौता हो गया है। फिलहाल बच्चे नार्वे के चाइल्ड प्रोटेक्शन सेंटर में हैं। मां-बाप पर बच्चों का सही ढंग से देखभाल नहीं करने का आरोप लगाया गया था।
इसके लिए यह तर्क दिए गए कि बच्चों को हाथ से खाना खिलाया जाता था और मां-बाप बच्चों को अपने साथ सुलाते थे। इसके बाद बच्चों को उनके माता-पिता से अलग कर दिया गया। पिछले सात महीने से ये बच्चे अपने माता-पिता से अलग रह रहे हैं। भारत सरकार ने पहल करते हुए नार्वे सरकार से बातचीत की और तब जाकर यह समझौता हुआ कि बच्चों को उनके अंकल को सौंप दिया जाए। हालांकि नार्वे सरकार ने भारत से उसके प्रस्ताव लिखित रूप में मांगे हैं। इस प्रस्ताव के मुताबिक, जहां दंपति भारत में बच्चों के केयर टेकर के बारे में नार्वे सरकार को लिखित रूप से सूचित करेंगे, वहीं भारत सरकार बच्चों के मेडिकल केयर और बेहतर तरीके से पालन-पोषण सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी उठाएगी।
पिछले साल मई में नार्वे के बाल कल्याण विभाग ने सही तरीके से देखभाल न करने के आरोप के बाद अनुरुप और सागरिका भट्टाचार्य से बच्चों को अपने संरक्षण में ले लिया था। गौर हो कि नार्वे की चाइल्ड प्रोटेक्टिव सर्विस की कड़ाई की दुनिया भर में आलोचना होती है।
First Published: Thursday, January 26, 2012, 14:40