मनमोहन-शरीफ मिलेंगे, आतंकवाद और LoC पर होगी चर्चा

मनमोहन-शरीफ मिलेंगे, आतंकवाद और LoC पर होगी चर्चा

मनमोहन-शरीफ मिलेंगे, आतंकवाद और LoC पर होगी चर्चासंयुक्त राष्ट्र : पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आज कहा कि वह अपने भारतीय समकक्ष मनमोहन सिंह के साथ मुलाकात को लेकर उत्सुक हैं तथा उम्मीद करते हैं कि उनके पिछले कार्यकाल के दौरान द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति को वह आगे बढ़ाएंगे। शरीफ ने न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र भवन के भीतर संवाददाताओं से कहा, मुझे उनसे (सिंह) मिलकर बहुत खुशी होगी तथा हम उम्मीद करते हैं कि हम वहीं से शुरू करेंगे जहां हमने 1999 में छोड़ा था। वह 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की लाहौर बस यात्रा तथा उनके साथ हुई ऐतिहासिक मुलाकात का हवाला दे रहे थे। इससे पहले मनमोहन सिंह ने इसकी पुष्टि की कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर शरीफ से मुलाकात करेंगे। सिंह और शरीफ के 29 सितम्बर को न्यूयॉर्क में मिलने की उम्मीद है।

शरीफ के साथ मुलाकात में आतंकवाद, नियंत्रण रेखा की स्थिति पर होगी चर्चा
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बीते कई दिनों से चल रही अटकलों पर विराम लगाते हुए आज इसकी पुष्टि कर दी कि वह संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ से मुलाकात करेंगे। शरीफ के साथ उनकी मुलाकात में नियंत्रण रेखा पर पिछले दिनों हुई ‘बर्बर’ घटनाओं तथा पाकिस्तान से पैदा होने वाले आतंकवाद का मुद्दा मुख्य रूप से उठ सकता है।

आगामी 29 सितम्बर को होने वाली इस मुलाकात में भारतीय पक्ष यह देखेगा कि संबंधों के बारे में ‘कुछ अच्छे बयान’ देने वाले पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री के पास नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संघर्ष विराम के उल्लंघन तथा आतंकवाद एवं मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई नहीं किए जाने जैसे मुद्दों के निराकरण के लिए क्या प्रस्ताव हैं।

नयी दिल्ली में आज सुबह एक बयान में प्रधानमंत्री सिंह ने कहा, मैं न्यूयॉर्क में नवाज शरीफ से मुलाकात को लेकर उत्सुक हूं। उच्च स्तर के सूत्रों का कहना है कि दोनों नेताओं की मुलाकात में नियंत्रण रेखा पर स्थिति और आतंकवाद को लेकर चर्चा की जाएगी। पाकिस्तान के साथ बातचीत पर जोर देते हुए सूत्रों ने कहा कि नियंत्रण रेखा पर ‘बर्बर घटनाओं’ के बाद यह सब बहुत जरूरी है।

पूर्व सेना प्रमुख सिंह के बयानों पर साफ तौर पर अप्रसन्नता जाहिर करते हुए सूत्रों ने कहा, सेना का नेताओं को धन देने का कोई काम नहीं है। उन्होंने कहा, लेकिन हम सीधे निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकते। सरकार की राय है कि सेवानिवृत्त जनरल के दावे ‘गैरजिम्मेदाराना’ हैं। पूर्व सेना प्रमुख सिंह ने दावा किया था कि सेना ने स्थिरता के लिए उमर अब्दुल्ला सरकार के कुछ मंत्रियों को पैसे दिये और इस तरह की कवायद आजादी के बाद से चल रही है।

उनके दावे इन खबरों के सामने आने के बाद आये कि सेना की एक जांच में आरोप हैं कि बतौर सेना प्रमुख सिंह के कार्यकाल के दौरान स्थापित तकनीकी सहायता विभाग (टीएसडी) ने जम्मू कश्मीर के एक मंत्री को वहां सरकार को अस्थिर करने के मकसद से 1.19 करोड़ रुपये दिये थे।

सू़त्रों ने कहा कि सैन्य जांच रिपोर्ट में पूरे विश्वास से यह बात नहीं कही गयी है कि पैसा मंत्रियों को दिया गया और सभी तरह के दावों की जांच की जरूरत है। अगर दावे सही हैं तो क्या यह बात साबित होती है कि प्रणाली में कुछ गलत है ? इस प्रश्न पर सूत्रों ने कहा कि अगर कोई खामी है तो उसे पाटने के लिए कार्रवाई करनी होगी।

सूत्रों ने कहा, अगर किसी ने कुछ गलत किया है। अगर चीजें हुईं और लोग छूट गये तो इसका मतलब है कि खामियां हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों से निपटने के लिए ‘स्थापित प्रक्रियाएं’ हैं। जनरल सिंह के दावों पर सीबीआई जांच की मांग उठी है और केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा था कि पूर्व सेना प्रमुख को उन लोगों के नाम बताने चाहिए जिन्होंने पैसे प्राप्त किये। जनरल सिंह ने अपने बयान पर सफाई देते हुए कल कहा था कि नेताओं को दिये पैसे ‘रिश्वत’ के तौर पर नहीं थे बल्कि कल्याणकारी गतिविधियों के लिए थे। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, September 25, 2013, 21:23

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