Last Updated: Saturday, November 12, 2011, 09:18
वाशिंगटन: जानेमाने भारतीय-अमेरिकी वैज्ञानिक डा. हरगोबिंद खुराना का मैसाचुसेट्स के कॉनकॉर्ड में निधन हो गया। खुराना को 1968 में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 89 वर्ष के थे। वह एमआईटी में जीव विज्ञान एवं रसायन विज्ञान के प्रोफेसर थे।
उन्हें 1968 में दो अन्य वैज्ञानिकों के साथ नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्हें यह सम्मान आरएनए के न्यूक्लियोटाइड सीक्वेंस को सुलझाने और जेनेटिक कोड को समझने के लिए दिया गया था। उस समय वह विसकोंसिन विश्वविद्यालय में कार्यरत थे। उनके परिवार में पुत्री जूलिया और पुत्र डेव हैं।
खुराना का जन्म एकीकृत भारत के पंजाब प्रांत के रायपुर में 1922 में हुआ था। वह इलाका अब पाकिस्तान में है। खुराना को एक ऐसे वैज्ञानिक के तौर पर जाना जाता है जिसने डीएनए रसायन में अपने उम्दा काम से जीव रसायन के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
विसकोंसिन-मैडिसन विश्वविद्यालय में जीव रसायन के प्रोफेसर असीम अंसारी ने कहा, ‘विसकोंसिन में 1960 से 1970 में जो काम उन्होंने किया वह नयी वैज्ञानिक खोजों और प्रगति को प्रेरित करना जारी रखे हुए है।’
विसकोंसिन में खुराना ने अध्यापन कार्य किया था और 1960 से 1970 तक वहां शोध किया था। उसके बाद वह मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में चले गए थे। विसकोंसिन में ही खुराना ने अपने साथियों के साथ मिलकर प्रोटीन संश्लेषण के लिए आरएनए कोड के तंत्र पर काम किया था। इसके लिए ही उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
उन्हें यह सम्मान कॉर्नेल विश्वविद्यालय के रॉबर्ट हॉली और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के मार्शल नीरेनबर्ग के साथ दिया गया था।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, November 12, 2011, 14:48