Last Updated: Friday, September 6, 2013, 23:54
माले : लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित पहले राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के पद से हटने के 18 महीनों बाद शनिवार को मालदीव के लोग अगला राष्ट्रपति चुनने के लिए मतदान करेंगे। इस चुनाव पर भारत के पूर्व चुनाव आयुक्तों के एक दल सहित 102 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षकों की नजर होगी।
आधिकारिक सूत्रों ने यहां बताया कि चुनाव की तैयारियां अब तक संतोषजनक रही हैं, लेकिन असली परीक्षा शनिवार को उस वक्त होगी जब मतदान आरंभ होगा।
चुनाव पर नजर रखने के लिए यहां 2,229 स्थानीय पर्यवेक्षक, 102 अंतरराष्ट्रीय पर्यवेक्षक और राजनीतिक दलों के 1,343 प्रतिनिधि यहां मौजूद रहेंगे। इसके अलावा 1,642 स्थानीय और 225 अंतरराष्ट्रीय पत्रकारों की नजर भी यहां के घटनाक्रमों पर बनी रहेगी।
भारतीय दल में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जे एम लिंगदोह, बी बी टंडन, एन गोपालस्वामी और मालदीव में नेपाल के पूर्व उच्चायुक्त एस एम गवई शामिल हैं।
मालदीव के 2.39 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। यहां चार उम्मीदवार अपनी सियासी किस्मत आजमा रहे हैं।
मौजूदा राष्ट्रपति मोहम्मद वहीद, मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के उम्मीदवार नशीद, पूर्व राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के भाई तथा प्रोग्रेसिव पार्टी ऑफ मालदीव के उम्मीदवार अब्दुल्ला यामीन एवं जम्हूरी पार्टी के उम्मीदवार कासिम इब्राहीम मैदान में हैं।
मालदीव का चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने की पूरी कोशिश कर रहा है तथा उसने ट्रांसपैरेंसी मालदीव जैसे गैर सरकारी संगठनों को अपने साथ शामिल किया है।
चुनाव आयोग के अध्यक्ष फव्वाद तौफीक ने कहा, ‘इस तरह के भौगोलिक क्षेत्र वाले देश में चुनाव कराना मुश्किल काम है, लेकिन हमने यह सुनिश्चित किया है कि चुनाव पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो।’
तौफीक ने कहा कि 470 मत पेटियों का इस्तेमाल किया जाएगा। 192 द्वीपों और 40 रेजॉर्ट पर मतदान केंद्र बनाए गए हैं। नयी दिल्ली, तिरूवनंतपुरम, लंदन, कोलंबो, कुआलालंपुर और सिंगापुर में प्रवासी लोगों की सुविधा के लिए मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं।
साल 2008 में राष्ट्रपति निर्वाचित हुए नशीद को पिछले साल पद छोड़ना पड़ा था। उन्होंने इस चुनाव को देश में लोकतांत्रिक मूल्य बहाल करने का एक मौका करार दिया।
नशीद ने कहा, ‘यह चुनाव सिर्फ मेरे लिए नहीं, बल्कि मालदीव के सभी नागरिकों के लिए निर्णायक है। यहां अधिकतर लोग यह मानते हैं कि 7 फरवरी, 2012 की घटना तख्तापटल थी। अब चीजें दुरूस्त करने का समय आ गया है।’ (एजेंसी)
First Published: Friday, September 6, 2013, 23:54