मुंबई हमला : भारतीय विधि विशेषज्ञ दल पाक पहुंचा

मुंबई हमला : भारतीय विधि विशेषज्ञ दल पाक पहुंचा

इस्लामाबाद : मुंबई आतंकी हमले के मामले में चार सदस्यीय भारतीय विधि विशेषज्ञ दल एक न्यायिक आयोग के विचारणीय मुद्दों को अंतिम रूप देने के लिए पाकिस्तान पहुंच गया है। इस पाक न्यायिक आयोग के मुंबई हमले के संबंध में सबूत जुटाने के लिए अगले वर्ष भारत जाने की संभावना है।

गृह मंत्रालय के एक संयुक्त सचिव के नेतृत्व वाले इस प्रतिनिधिमंडल में गृह एवं विदेश मंत्रालयों के कानूनी विशेषज्ञ शामिल हैं। मुंबई हमले में शामिल एकमात्र जिंदा बचे आतंकवादी अजमल कसाब के अभियोजन को संभालने वाले लोक अभियोजक उज्जवल निकम भी इस दल में शामिल हैं। अधिकारियों ने आज कहा कि यह दल मुंबई हमले की जांच में भारत जाने वाले दूसरे न्यायिक आयोग के विचारणीय मुद्दों को अंतिम रूप देने के लिए अटार्नी जनरल इरफान कादिर सहित अन्य पाकिस्तानी अधिकारियों से आज और कल बातचीत करेगा।

पाकिस्तानी अधिकारियों ने दूसरे आयोग को मुंबई भेजने का फैसला किया है। पहले न्यायिक आयोग के निष्कर्ष आतंकवाद निरोधक अदालत द्वारा खारिज कर दिये गये थे क्योंकि इसके सदस्यों को चार प्रमुख गवाहों से जिरह करने की अनुमति नहीं दी गई थी। इन प्रमुख गवाहों में हमलों की जांच का नेतृत्व करने वाले पुलिस अधिकारी, कसाब का इकबालिया बयान दर्ज करने वाले मजिस्ट्रेट और नौ अन्य आतंकवादियों का पोस्टमार्टम करने वाले दो डाक्टर शामिल हैं।

पाकिस्तान के गृह मंत्री रहमान मलिक की दिल्ली में भारतीय समकक्ष सुशील कुमार शिंदे के साथ हाल में बैठक के दौरान दूसरे न्यायिक आयोग की यात्रा पर सहमति बनी थी । मलिक ने इस्लामाबाद लौटने पर कहा कि अगर इस सप्ताह विचारणीय मुद्दों को अंतिम रूप दे दिया गया तो आयोग दो या तीन जनवरी को भारत के दौरे पर जाएगा। सूत्रों ने कहा कि विधि विशेषज्ञों के दल में लोक अभियोजक निकम को शामिल करने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि वह इस मामले से गहराई से जुड़े हुए हैं।

एक सूत्र ने कहा कि पाकिस्तानी कानून भारतीय कानून के बिल्कुल जैसे हैं और निकम विचारणीय मुद्दों को अंतिम रूप देने में प्रमुख भूमिका निभाएंगे जिसके आधार पर न्यायिक आयोग द्वारा जुटाये गये सबूतों को पाकिस्तान की अदालत में पेश करने में मदद मिलेगी। दोनों पक्षों के बीच गवाहों से जिरह के मुद्दे पर गहन चर्चा होगी। विशेषज्ञों ने कहा कि अगर पाकिस्तानी आयोग को भारतीय गवाहों से जिरह करने की अनुमति दी जाती है तो भारतीय अधिकारी अपने न्यायिक आयोग से समान सुविधा मांगेंगे। (एजेंसी)

First Published: Thursday, December 20, 2012, 14:30

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