'मुंबई हमले के पीछे आईएसआई का हाथ' - Zee News हिंदी

'मुंबई हमले के पीछे आईएसआई का हाथ'

लंदन : मुंबई में तीन साल पहले हुए आतंकवादी हमले और काबुल में भारतीय दूतावास को निशाना बनाकर किए गए विस्फोट के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) का हाथ था। बीबीसी की ओर से यह दावा किया गया है।

 

बीबीसी ने दो हिस्सो में एक कार्यक्रम प्रसारित किया है जिसका नाम ‘सीकेट्र पाकिस्तान’ दिया गया था। कार्यक्रम के पहले हिस्से में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के सलाहकार रहे सीआईए अधिकारी ब्रुस रीडल ने कहा है कि उन्होंने मुंबई हमले के वक्त ओबामा को सूचित किया गया था कि हर अंगुली पाकिस्तान की ओर से उठ रही है। यह एक निर्णायक क्षण है। पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने 26 नवंबर, 2008 को मुंबई के कई प्रमुख स्थानों पर हमला किया था। उस वक्त ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति निर्वाचित हो गए थे, हालांकि उन्होंने शपथ नहीं ली थी।

 

रीडल ने कहा, ‘मैंने पाकिस्तानी राष्ट्रपति से कहा कि वे हमारे साथ दोहरा खेल खेलना बंद करें। उनसे यह भी कहा कि पाकिस्तानी वर्षों से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों के साथ ऐसा कर रहे हैं और आगे भी ऐसा ही करते रहने का अंदेशा है।’ रीडल ने कहा, ‘इन हमलों में हर जगह लश्कर-ए-तैयबा की छाप नजर आती है। हमलों की शुरुआत से लगने लगा कि यह लश्कर की करतूत है। एक बार जब आप लश्कर से इन हमलों को जोड़ते हैं तो आप इसे पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से भी जोड़ेंगे।’

 

इस कार्यक्रम के दूसरे हिस्से में कहा गया, ‘सीआईए को यह जानकारी मिली थी कि मुंबई के हमले में आईएसआई सीधे तौर पर शामिल थी।’ काबुल में जुलाई, 2008 में विस्फोटकों से लदी कार को भारतीय दूतावास के निकट उड़ा दिया गया था। इस हमले में 58 लोग मारे गए थे और 141 घायल हो गए थे।

 

अमेरिकी उप राष्ट्रपति के कार्यकाल में काम कर चुके माइक वाल्ट्ज का कहना है, ‘सूचना और सिलसिलेवार घटनाक्रमों से पूरी तरह स्पष्ट हो गया था कि काबुल में विस्फोट करने वाले हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तानियों का समर्थन मिला हुआ था।’ उस वक्त काबुल में ब्रिटिश राजदूत शेर्ड कोपेर कोलेस ने कहा, ‘आईएसआई का एक छोटा धड़ा हक्कानी नेटवर्क के संपर्क में है और इनके बारे में पश्चिमी देशों को कभी जानकारी नहीं मिली।’

 

बीबीसी के इस कार्यक्रम में तालिबान के कुछ स्वयंभू कमांडर ने खुलासा किया कि ब्रिटेन और अमेरिका के सैनिकों के खिलाफ तालिबान की लड़ाई में पाकिस्तान का समर्थन मिलता है। एक स्वयंभू कमांडर मुल्ला अजीजुल्ला के मुताबिक, आतंकवादियों के लिए प्रशिक्षण शिविर चला रहे विशेषज्ञ आईएसआई के सदस्य हैं अथवा उनका किसी न किसी तरह इस खुफिया एजेंसी से जुड़ाव है। (एजेंसी)

First Published: Friday, November 4, 2011, 21:18

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