‘मुशर्रफ का अपमान हुआ तो हरकत में आ सकती है सेना’ |Musharraf humiliated

‘मुशर्रफ का अपमान हुआ तो हरकत में आ सकती है सेना’

‘मुशर्रफ का अपमान हुआ तो हरकत में आ सकती है सेना’ इस्लामाबाद : अनेक रिटायर्ड पाकिस्तानी जनरलों ने चेतावनी दी है कि अगर वकीलों या न्यायपालिका ने पूर्व सैन्य तानाशाह परवेज मुशर्रफ को बेइज्जत किया तो सेना प्रतिक्रिया कर सकती है।

आज एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व सैन्य प्रमुख जनरल (रिटायर्ड) मिर्जा असलम बेग ने कहा कि सेना मुशर्रफ के मामले में एक ‘खास स्तर’ के बाद घटनाक्रम बर्दाश्त नहीं करेगी।

दैनिक डॉन की एक रिपोर्ट में बेग के हवाले से कहा गया है कि कुछ समूह वकीलों को पूर्व सैन्य तानाशाह के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।

बेग ने कहा, ‘वरना वे पूर्व सैन्य शासक को बेइज्जत करने की हिम्मत नहीं कर सकते थे जिन्होंने देश पर एक दशक से ज्यादा राज किया।’ पूर्व पाकिस्तानी जनरल ने कहा कि जब मुशर्रफ विदेश में थे तो ‘कुछ लोगों’ ने उनके लिए जाल बिछाया और सोशल मीडिया से यह छवि बनाई कि पाकिस्तान उनका इंतजार कर रहा है और आत्मनिर्वासन से उनकी वापसी पर उनका गरमजोशी से स्वागत किया जाएगा।

बेग ने कहा कि पिछले माह पाकिस्तान पहुंचने पर उनको ‘बेइज्जत’ करने और मुशर्रफ के साथ सेना को गैरजरूरी कानूनी प्रक्रियाओं में घसीट कर सेना को उकसाने के नियोजित एवं समन्वित प्रयास किए गए।

बेग ने कहा, ‘अगर वकीलों ने पूर्व सैन्य प्रमुख को बेइज्जत करना जारी रखा और संस्था (सेना) को अदालतों में घसीटने का प्रयास किया तो हालात खतरनाक बन सकते हैं।’

रक्षा विश्लेषक लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमशेद अय्याज ने कहा कि सेना हालात पर निगाह रखे है।

अय्याज ने इंगित किया कि अभी कोर कमांडर के रूप में सेना में काम कर रहे कम से कम नौ सैन्य अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें मुशर्रफ के कार्यकाल में पदोन्नत किया गया था।

उन्होंने दावा किया कि मुशर्रफ को अब भी सेना की कतारों में हिमायत हासिल है और निवर्तमान सेना प्रमुख जनरल अश्फाक परवेज कयानी को मुशर्रफ को बेइज्जती से बचाने के लिए ‘भूमिका निभानी’ चाहिए।

अय्याज ने दावा किया, ‘वरना मुशर्रफ के शुभचिंतक पूर्व सैन्य प्रमुख को बचाने के लिए हस्तक्षेप कर सकते हैं।’ एक अन्य रिटायर्ड जनरल एवं पूर्व सैनिकों के संगठन ‘एक्स-सर्विसमेन्स सोसाइटी’ के अध्यक्ष फैज अली चिश्ती ने कहा कि उनका मानना है कि अगर मुशर्रफ ने कोई गलत काम किया है तो उन्हें अदालत का सामना करना चाहिए लेकिन वकीलों को उन्हें किसी अपराधी की तरह बर्ताव करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए।

ब्रिगेडियर (रिटायर्ड) मियां मोहम्मद महमूद ने भी कुछ इसी तरह के विचार पेश किए।
सुरक्षा विश्लेषक आयशा सिद्दीका ने कहा कि सेना ने मुशर्रफ को पाकिस्तान लौटने से रोकने की कोशिश की लेकिन पूर्व सैन्य शासक ने उसकी सलाह नजरअंदाज कर दी। उनका कहना है कि सेना मुशर्रफ के बचाव के लिए सामने नहीं आएगी क्योंकि यह उसकी छवि बिगाड़ देगी।

इस बीच, पाकिस्तान बार काउंसिल के उपाध्यक्ष ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट मुशर्रफ के खिलाफ राजद्रोह के आरोपों की जांच कर रहा है और वरिष्ठ वकील मुशर्रफ की हिमायत और मुखालिफत में अपनी दलीलें पेश कर रहे हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, April 23, 2013, 16:43

comments powered by Disqus