Last Updated: Wednesday, July 3, 2013, 18:13

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आज सरकार को आदेश दिया है कि वह पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ के खिलाफ घोर राष्ट्रद्रोह के मामले में जांच शुरू करे तथा ‘गैरजरूरी देरी’ किए बिना जांच पूरी करे।
न्यायमूर्ति जव्वाद एस. ख्वाजा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने पाकिस्तान सरकार को आदेश दिया कि घोर राष्ट्रद्रोह के मामले में संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार मुशर्रफ के खिलाफ जांच की जाए तथा इसे कम से कम समय में पूरा किया जाए। यहां की शीर्ष अदालत ने सरकार को यह भी निर्देश दिया कि अनावश्यक विलंब के जांच पूरी की जाए।
सरकार और अदालत किसी ने भी संघीय जांच एजेंसी (एफआईए) के लिए जांच पूरी करने के संदर्भ में कोई समय सीमा तय नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार इस मामले की जांच के लिए पहले ही एक विशेष दल का गठन कर चुकी है। कानून के मुताबिक संघीय सरकार ही राष्ट्रद्रोह का मामला शुरू करने का आदेश दे सकती है। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 6 के अनुसार राष्ट्रद्रोह के मामले में अधिकतम सजा मृत्युदंड है।
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने 69 वर्षीय मुशर्रफ के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला शुरू करने की मांग को लेकर दायर कई याचिकाओं का निपटारा किया। साल 2007 में संविधान का उल्लंघन करने को लेकर मुशर्रफ के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला चलाने की मांग की जाती रही है। प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने बीते 24 जून को कहा था कि दो बार संविधान का उल्लंघन करने के मामले में मुशर्रफ के खिलाफ संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाएगा।
शरीफ का कहना है कि मुशर्रफ ने 1999 में उनका तख्तापलट कर पहली बार संविधान का उल्लंघन किया। इसके बाद उन्होंने 2007 में आपातकाल लगाकर दूसरी बार संविधान का उल्लंघन किया। मुशर्रफ पाकिस्तान के पहले ऐसे तानाशाह हैं जो देश में घोर राष्ट्रद्रोह के मामले का सामना करेंगे। शरीफ का तख्तापलट करने के बाद सत्ता पर काबिज हुए मुशर्रफ साल 2008 तक राष्ट्रपति रहे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 3, 2013, 18:13