मुशर्रफ को सम्मन, देश छोड़ कर जाने पर रोक

मुशर्रफ को सम्मन, देश छोड़ कर जाने पर रोक

मुशर्रफ को सम्मन, देश छोड़ कर जाने पर रोकइस्लामाबाद : पाकिस्तानी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ को राष्ट्रदोह के मामले में कल उसके सामने हाजिर होने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का भी निर्देश दिया है कि पूर्व राष्ट्रपति देश छोड़कर न जानें पाएं।

न्यायमूर्ति जावेद एस ख्वाजा की अध्यक्षता वाली दो न्यायाधीशों की पीठ ने वर्ष 2007 में संविधान भंग करके आपातकाल लगाने से जुड़े देशद्रोह के मामले में मुशर्रफ की सुनवाई की मांग वाली पांच याचिकाओं पर शुरुआती दलीलें सुनने के बाद ये निर्देश दिये।

पीठ ने कहा कि मुशर्रफ या उनके वकील आरोपों का जवाब देने के लिए कल अदालत में पेश हों।

पीठ ने गृह सचिव को आदेश दिया कि वह मुशर्रफ को विदेश जाने से रोकने के लिए कदम उठाएं। पीठ ने इन याचिकाओं पर सरकार, मुशर्रफ और अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी करके यह मामला कल तक के लिए स्थगित कर दिया।

याचिकाओं में शीर्ष अदालत से अनुरोध किया गया कि राष्ट्रद्रोह (दंड) अधिनियम 1973 के तहत मुशर्रफ पर मुकदमा चलाने का सरकार को निर्देश दिया जाए। न्यायमूर्ति ख्वाजा ने कहा कि इन याचिकाओं पर प्रतिवादियों को नोटिस जारी करना आवश्यक है। कार्यालय प्रतिवादियों की कल उपस्थिति के लिए नोटिस भेजेगा।

उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय यह सुनिश्चित करे कि प्रतिवादी (मुशर्रफ) पाकिस्तान की सीमा छोड़कर बाहर नहीं जाएं।

वकीलों द्वारा दायर ज्यादातर याचिकाओं में कहा गया है कि पूर्व सैन्य शासक ने 2007 में आपातकाल घोषित करके दर्जनों न्यायाधीशों को अपदस्थ किया, जिसके लिए उनके खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए। वकील हामिद खान ने अदालत से कहा कि मुशर्रफ पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए क्योंकि वह संविधान भंग करने के दोषी हैं। खान ने कहा, ‘उन्हें मृत्युदंड या आजीवन कारावास की सजा दी जानी चाहिए।’

वकीलों ने कहा है कि संसद के ऊपरी सदन ने जनवरी 2012 में एक प्रस्ताव पारित किया था कि मुशर्रफ को स्वदेश वापसी पर गिरफ्तार किया जाना चाहिए, लेकिन सरकार ने इस पर कोई कदम नहीं उठाया।

याचिकाएं दाखिल करने वाले वकीलों ने यह तर्क भी दिया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए उस आदेश पर भी कार्रवाई करने में विफल रही है, जिसमें प्रशासन को संविधान का उल्लंघन करने के लिए मुशर्रफ के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया था।

न्यायमूर्ति ख्वाजा ने टिप्पणी की कि शीर्ष अदालत वर्ष 2007 में मुशर्रफ द्वारा लागू आपातकाल को पहले ही असंवैधानिक घोषित कर चुकी है। अदालत ने पूछा कि अधिकारियों ने उनके खिलाफ क्या कार्रवाई की है।

पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति खिलजी आरिफ ने कहा कि संविधान कहता है कि इसका उल्लंघन करने वालों पर अनुच्छेद छह के तहत मुकदमा चलाया जाना चाहिए जो देशद्रेाह से संबंधित है।

सुनवाई के बाद याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने संवाददाताओं से कहा कि मुशर्रफ को ‘वीआईपी प्रोटोकाल’ नहीं दिया जाए क्योंकि वह कई मामलों में आरोपी हैं।

उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पूर्व राष्ट्रपति के खिलाफ मामले से यह सुनिश्चित होगा कि कोई भविष्य में संविधान की भावना को आहत नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि मुशर्रफ का समर्थन करने वाले जनरलों और अन्य लोगों को भी जवाबदेह बनाया जाना चाहिए। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 8, 2013, 18:10

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