Last Updated: Friday, December 16, 2011, 06:23
इस्लामाबाद: पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष जनरल अश्फाक परवेज कयानी ने पहली बार गुप्त ज्ञापन दस्तावेज के अस्तित्व को स्वीकार करते हुए उसे सेना के साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ षड्यंत्र करार देकर इस पूरे मामले की गहन जांच की मांग की है।
मीडिया में प्रकाशित खबरों में कहा गया है कि शक्तिशाली सैन्य जनरल कयानी ने ये टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने जवाब में की है। उच्चतम न्यायालय इस मामले से संबंधित मामले की सुनवायी कर रहा है। आईएसआई प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा ने अलग से दिये गए जवाब में कहा कि वह गुप्त ज्ञापन के बारे में मंसूर एजाज की ओर से दिये गए सबूतों से संतुष्ट हैं।
कयानी ने कहा कि उस गुप्त ज्ञापन की सच्चाई का पता लगाये जाने की आवश्यकता है जो कि अमेरिकी सेना को भेजा गया था। एक पाकिस्तानी न्यूज चैनल ने कयानी के हवाले से कहा कि इस पूरे मामले ने पाकिस्तान की राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया।
गुप्त ज्ञापन का उद्देश्य उन सैनिकों के हौसले को प्रभावित करना था जो कि लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए बलिदान कर रहे हैं। कयानी और पाशा के जवाब सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को पेश किये गए जबकि पाकिस्तानी राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की ओर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है जबकि इसके लिए अंतिम समयसीमा गुरुवार को ही समाप्त हो गई। इस बारे में कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया कि उनका जवाब दायर क्यों नहीं किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुप्त ज्ञापन मामले की जांच के अनुरोध वाली नौ याचिकाएं दायर होने के बाद जरदारी सहित दस प्रतिवादियों को अपने जवाब 15 दिसम्बर तक दाखिल करने के निर्देश दिये थे। अटार्नी जनरल अनवारुल हक ने कयानी और पाशा के जवाब सुप्रीम कोर्ट के रजिस्ट्रार को सौंपे।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 16, 2011, 21:02