Last Updated: Thursday, November 29, 2012, 23:54

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासभा फलस्तीन को पर्यवेक्षक राष्ट्र की भूमिका देने के ऐतिहासिक कदम की ओर बढ़ रहा है। इस मुद्दे पर महासभा में होने वाले मतदान में भारत, चीन, फ्रांस और ब्राजील समेत 120 देशों को प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने की संभावना है।
फलस्तीनी प्राधिकार की ओर से रखे गए इस प्रस्ताव में ‘वर्ष 1967 के बाद अधिकृत फलस्तीनी क्षेत्र के भीतर फलस्तीन राष्ट्र में वहां के लोगों को आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता का अधिकार देने’ की बात की गई है। इस प्रस्ताव को भारत समेत 60 राष्ट्रों का समर्थन हासिल है और इसपर आज देर रात मतदान होने की संभावना है । इस्राइल और अमेरिका की इच्छा के विपरीत महासभा में इस प्रस्ताव के मंजूर किए जाने की भी पूरी संभावना है। इस प्रस्ताव का लक्ष्य ‘संयुक्त राष्ट्र में फलस्तीन को गैर-सदस्यीय पर्यवेक्षक सदस्य का स्थान प्रदान करना है।
संयुक्त राष्ट्र में राजनयिक हार के दंश के पूर्वानुमान को भांपते हुए इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामीन नेतन्याहू ने आज फलस्तीनी प्राधिकार को चेतावनी दी कि संयुक्त राष्ट्र में उंचा दर्जा पाने की उसकी एकतरफा कोशिश राष्ट्र बनने के उसके सपने को और दूर ले जाएगी । इस्राइल के कट्टरपंथी नेता ने कहा कि इस कदम से जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं होगा और इस बात से इतर कि कितने देश इस्राइल के खिलाफ मतदान करते हैं ‘दुनिया की कोई भी ताकत मुझे इस्राइल की सुरक्षा के साथ समझौता’ करने पर मजबूर नहीं करेगा ।
शांति प्रक्रिया की धज्जियां उड़ने के बाद फलस्तीन के लोग इस मतदान की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे हैं ताकि इससे इस्राइल पर कुछ और दबाव बढ़े। फलस्तीनी प्राधिकार ने इस प्रस्ताव पर मतदान के लिए ‘इंटरनेशनल डे ऑफ सॉलिडारिटी विद पैलस्टैनियन पीपुल’ का चुनाव किया है। संभावना है कि प्राधिकार के अध्यक्ष महमूद अब्बास मतदान से पहले महासभा को संबोधित करेंगे और फलस्तीन को राष्ट्र का दर्जा दिए जाने पर अपना पक्ष रखेंगे।
संयुक्त राष्ट्र में इस प्रस्ताव के स्वीकार होने के बाद फलस्तीन का दर्जा गैर-सदस्यी देश का हो जाएगा, जैसा की वेटिकन को प्राप्त है। पिछले सप्ताह आईबीएसए देशों में से भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका ने फलस्तीन के इस प्रस्ताव का समर्थन किया था।
आशा है कि स्पेन, नार्वे, स्विटजरलैंड, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, तुर्की, रूस, दक्षिण अफ्रीका और नाइजीरिया भी इसके पक्ष में मतदान करेंगे। इस प्रस्ताव को अमेरिका और इस्राइल के विरोध का सामना करना होगा। ब्रिटेन का कहना है कि फलस्तीन अगर कुछ विशेष शर्तों को पूरा नहीं करता है तो वह मतदान में अनुपस्थित रहेगा। अमेरिका अपने पुराने रूख पर कायम है कि वह फलस्तीन के इस प्रस्ताव का विरोध करेगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, November 29, 2012, 23:54